रांची : गांवों में वज्रपात से हो रही मौत, पर आपदा विभाग अनजान

रांची : रिटायर्ड कर्नल संजय श्रीवास्तव (सीआरओपीसी) ने कहा कि झारखंड में वज्रपात सबसे बड़ी समस्या है. यहां पर ढाई सौ से ज्यादा लोग प्रति वर्ष मरते हैं. सबसे ज्यादा मौत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं, बच्चों और अन्य लोगों के साथ पशुओं की होती है. हमारी कार्यशाला का उद्देश्य है कि वज्रपात से हम लोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2019 8:34 AM
रांची : रिटायर्ड कर्नल संजय श्रीवास्तव (सीआरओपीसी) ने कहा कि झारखंड में वज्रपात सबसे बड़ी समस्या है. यहां पर ढाई सौ से ज्यादा लोग प्रति वर्ष मरते हैं. सबसे ज्यादा मौत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं, बच्चों और अन्य लोगों के साथ पशुओं की होती है. हमारी कार्यशाला का उद्देश्य है कि वज्रपात से हम लोग किस तरह लोगों की जान बचायें.
अगले तीन साल में मौत का प्रतिशत 80 फीसदी कम करें. इसके लिए सरकार, मौसम विज्ञान विभाग, स्वयंसेवी संस्थाओं और पंचायत को जोड़कर नेटवर्क बनाने का काम किया जा रहा है. जिससे आपदा की सूचना उन लोगों तक पहले पहुंचे. लोग समय पर कार्रवाई करें. श्री श्रीवास्तव वज्रपात सुरक्षित भारत अभियान 2019 से 2022 विषय पर मंगलवार को होटल बीएनआर मेंं आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे.
पंचायतों में ठप है जागरूकता कार्यक्रम: उन्होंने कहा कि पहले पंचायत में जाकर कार्यक्रम कर लोगों को वज्रपात से बचाव को लेकर कार्यक्रम चलाया जाता था. वाट्सएप पर भी लोगों को जानकारी दी जाती थी.
लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि पिछले दो सालों से विभाग के द्वारा पंचायतों में इस तरह के कार्यक्रम अायोजित नहीं किये जा रहे हैं. कोई अभियान भी नहीं चलाया जा रहा है. आपदा प्रबंधन विभाग में दो साल पहले करीब 70 स्टाफ थे. अब महज 15 के आसपास है. गृह विभाग में आपदा प्रबंधन विभाग को मर्ज कर दिया गया है. इसका खामियाजा झारखंड के लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
लाइटिंग के समय पेड़ के नीचे नहीं खड़े हों
संजय श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि लाइटिंग के समय लोग पेड़ के नीचे नहीं खड़े हों. सुरक्षित स्थान पर चले जाएं. इसके अलावा जितने भी विद्यालय हैं, उसमें तड़ित चालक लगाया जाये. जिससे बच्चे और पढ़ाने वाले शिक्षक सुरक्षित रह सकें. इसके लिए सबको मिल-जुल कर प्रयास करना होगा. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि झारखंड की भौगोलिक स्थिति अलग है. यहां छोटी-छोटी पहाड़ियां हैं.
बादल उन पहाड़ियों से टकराते हैं. यहां की जमीन में मिनरल ज्यादा है. इस वजह से वज्रपात जमीन की ओर तेजी से आकर्षित होते हैं. कार्यक्रम के दौरान बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण, वर्ल्ड विजन इंडिया के एसपी प्रमाणिक सहित अन्य लोगों ने वज्रपात के संबंध में अहम जानकारियां दी.
साल के अंत तक कर्नाटक की तरह ऐप तैयार हो जायेगा
आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव मनीष तिवारी ने कहा कि प्रदेश में वज्रपात से बचाव के लिए कर्नाटक की तर्ज पर ऐप तैयार किया जायेगा. इसके जरिये मोबाइल टावर से तीन किमी. रेडियस तक के लोगों को वज्रपात से करीब 35 मिनट पहले मोबाइल पर सूचना दी जा सकेगी.

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