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योग दिवस का थीम हार्ट केयर, दिल दुरुस्त रखने को करेंगे प्रेरित

रांची : भारत डायबिटीज की राजधानी बन गया है. हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) साइलेंट किलर है. ऐसे मेें डायबिटीज व ब्लड प्रेशर से हार्ट, किडनी और मस्तिष्क को कैसे बचाया जाये, यह बड़ी चुनौती है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने भी इस पर चिंता जताते हुए बताया है कि सिर्फ शहरी ही […]

रांची : भारत डायबिटीज की राजधानी बन गया है. हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) साइलेंट किलर है. ऐसे मेें डायबिटीज व ब्लड प्रेशर से हार्ट, किडनी और मस्तिष्क को कैसे बचाया जाये, यह बड़ी चुनौती है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने भी इस पर चिंता जताते हुए बताया है कि सिर्फ शहरी ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी तेजी से गंभीर बीमारियों की चपेट मेें आ रहे हैं.

शहर में औसतन 30.5 फीसदी लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्र के करीब 22.2 फीसदी लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित पाये गये. झारखंड के लोग भी इस बीमारी से बचे हुए नहीं हैं. ऐसे मेें जीवनशैली को बदलकर कैसे हम खुद को स्वस्थ रख सकते हैं, यह चुनौती है.
बिना दवा के बीमारियों से बचाता है योग
इधर जानकारों का मानना है कि योग ही एक ऐसा विकल्प है, जो बिना दवा के गंभीर बीमारियों से बचा सकता है. योग मेंं आसन, प्राणायाम और षटकर्म को अपना कर खुद को स्वस्थ रख सकते हैं. एलोपैथी के चिकित्सक भी अब यह मानने लगे हैं कि योग का महत्व जीवनशैली को सुधारने और संतुलित जीवन के लिए जरूरी है.
बीमार पड़ने पर वह दवाओं के साथ-साथ आसन व प्राणायाम को शामिल कर रहे हैं. मरीजों पर किये गये प्रयोग से उसका परिणाम भी अच्छा मिल रहा है. इसके कारण डाॅक्टर अपनी पर्ची पर दवाओं के साथ योग काे खुलकर लिख रहे हैं.
मरीजों को अलग से 10 मिनट का कराते हैं अभ्यास
राजधानी के डॉ महेश कुमार पेशे से सामान्य सर्जन हैं, लेकिन योग एक्सपर्ट भी हैं. खुद योग का अभ्यास करते हैं और मरीजों को भी योग की शिक्षा देते हैं. डॉ महेश ने बताया कि मरीजों को इलाज करते समय वह पर्ची पर दवा के साथ आसन और प्राणायाम की जानकारी भी देते हैं.
मरीज की अलग से 10 मिनट की क्लास भी लेते हैं. बीमारी केे हिसाब से कुछ सामान्य आसन और प्राणायाम का अभ्यास कराते हैं. इससे मरीजों को काफी लाभ मिलता है. मरीज खुद आकर बताता है कि अासन करने से उसको काफी राहत मिलती है.
डॉ महेश ने बताया कि डायबिटीज के मरीजों को खाने को लेकर काफी कुछ मनाही रहती है, लेकिन योग के कुछ आसन जैसे कपालभांति को कराने से उसको राहत मिलती है. शुगर का मरीज अगर कभी कार्बोहाइड्रेड की मात्रा को शामिल कर लेता है, तो वह आसन कर अपने शुगर लेवल को नियंंत्रित कर सकता है. कई मरीजों को योग का अलग से अभ्यास कराकर वह बीमारी को नियंत्रित कर चुके हैं.
शुगर में कपालभांति कारगर
शुगर के मरीजों के लिए कपालभांति कारगर है. अगर मरीज हार्ट की बीमारी से पीड़ित नहीं है, तो वह नियमित 20 मिनट कपालभांति कर डायबिटीज को नियंत्रित रख सकता है. कपालभांति मेेें पेट का मसाज होता है. इससे इंसुलिन का उत्सर्जन होने लगता है. अगर मरीज को शुगर की पहचान जल्द हुई है, तो उसके लिए यह प्राणायाम काफी कारगर है.
थायराइड के मरीजों के लिए उज्जयी और जालंधर बंद है लाभदायक
थायराइड के मरीजों के लिए उज्जयी प्राणायाम और जालंधर बंद काफी लाभकारी है. उज्जयी प्राणायाम व जालंधर बंद से गले पर तनाव होता है. इससे थायराइड ग्लैंड जो गतिशील नहीं है, उसमेें गति आती है. अगर मरीज नियमित इस व्यायाम को करता है, तो उसको आराम मिलता है.
दमा के मरीज में अनुलाेम-विलोम लाभकारी
दमा व सांस की बीमारी में अनुलोम-विलोम लाभकारी है. डॉ महेश ने बताया कि उन्होंने दमा व सांस की बीमारी वाले मरीजोें को अनुलोम-विलोम व भ्रामरी का अभ्यास कराया है. इससे काफी हद तक उनको राहत मिली है. मरीज भ्रस्तिका, कपालभांति, उज्जयी प्राणायाम, अनुलोम-विलोम और भ्रामरी को अपना कर स्वस्थ रह सकता है.

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