रांची : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यहां कहा कि उत्तम स्वास्थ्य के लिए चार ‘पकार’ आवश्यक हैं. ये चार पकार हैं : पानी, पोषण, पर्यावरण और परिश्रम. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां पांचवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मुख्य कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि ये चार चीजें- पीने का शुद्ध पानी मिले, आवश्यकता के अनुसार पोषण प्राप्त हो, स्वच्छ पर्यावरण हो और परिश्रम जीवन का हिस्सा हो, तो स्वयं उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. अर्थात् जीवन में चार ‘पकार’ हों, तो उत्तम स्वास्थ्य होना तय है.
मोदी ने कहा, ‘साथियों, जब उत्तम स्वास्थ्य होता है, तो जीवन की नयी ऊंचाइयों को पाने का एक जज्बा भी होता है. थके हुए शरीर से, टूटे हुए मन से, न सपने सजाये जा सकते हैं, न अरमानों को साकार किया जा सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘इस वर्ष के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का विषय है ‘हृदय के लिए योग’. हृदय की सुरक्षा आज पूरे विश्व के लिए एक चुनौती बन चुकी है. भारत में तो बीते दो-ढाई दशकों में हृदय से जुड़ी बीमारियों में कई गुना बढ़ोतरी हुई है. दुखद बात ये है कि बहुत ही कम उम्र के युवाओं में हृदय रोग की समस्या अब बढ़ रही है. ऐसे में हृदय रोग के प्रति जागरूकता के साथ-साथ योग को भी हृदय रोग से बचाव एवं उपचार का हिस्सा बनाना जरूरी है.’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं यहां के स्थानीय योग आश्रमों से भी आग्रह करूंगा कि योग के प्रसार में और आगे बढ़ें. चाहे देवघर का रिखिया पीठ हो, रांची का योगदा सत्संग मठ या अन्य संस्थान, वह भी इस वर्ष हृदय की देखभाल के प्रति जागरूकता को थीम बनाकर कार्यक्रमों का आयोजन करें.’ उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत के बाद हमने अनेक प्रभावी कदम उठाये, जिनका लाभ भी देखने को मिल रहा है. भविष्य को देखते हुए हमें योग को हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बनाने के लिए, लोगों में इसका स्वभाव बनाने के लिए निरंतर काम करना है. इसके लिए योग से जुड़े साधकों, शिक्षकों और संगठनों की भूमिका बढ़ने वाली है.
ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट बहुत जरूरी
प्रधानमंत्री ने कहा कि योग को करोड़ों लोगों के जीवन का हिस्सा बनाने के लिए बड़ी संख्या में योग प्रशिक्षकों को तैयार करना ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट भी बहुत जरूरी है. ये तभी संभव है, जब हम योग से जुड़े मानक और संस्थान विकसित करें. इसलिए हमारी सरकार इसी सोच के साथ आगे बढ़ रही है.
उन्होंने कहा कि आज हमारे योग को दुनिया अपना रही है, तो हमें योग से जुड़ी रिसर्च पर भी जोर देना होगा. जैसे हमारे फोन का सॉफ्टवेयर सदा अपडेट होता रहता है, वैसे ही हमें योग के बारे में जानकारी दुनिया को देते रहना है और इस पर लगातार अनुसंधान करना है. इसके लिए जरूरी है कि हम योग को किसी दायरे में बांधकर न रखें.
उन्होंने कहा कि योग को चिकित्सा, फिजियोथेरेपी एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से भी जोड़ना होगा. इतना ही नहीं, हमें योग से जुड़ी निजी उद्यमिता को भी प्रोत्साहित करना पड़ेगा, तभी हम योग का विस्तार कर पायेंगे. हमारी सरकार इन आवश्यकताओं को समझते हुए अनेक क्षेत्रों में काम कर रही है.