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रांची : कर्ज लेने की सीमा बढ़ाये केंद्र सरकार: सीपी सिंह
रांची : झारखंड सरकार ने दिल्ली में शुक्रवार को हुई वित्तमंत्रियों की बैठक में कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने की मांग की. नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने झारखंड का पक्ष पेश करते हुए कहा कि राज्य में विकास योजनाएं, गरीबी उन्मूलन समेत अन्य कार्यों के लिए पैसे की आवश्यकता है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं में […]
रांची : झारखंड सरकार ने दिल्ली में शुक्रवार को हुई वित्तमंत्रियों की बैठक में कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने की मांग की. नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने झारखंड का पक्ष पेश करते हुए कहा कि राज्य में विकास योजनाएं, गरीबी उन्मूलन समेत अन्य कार्यों के लिए पैसे की आवश्यकता है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्रांश कम होता जा रहा है. कई योजनाओं में केंद्रांश बंद कर दिया गया है.
सहायता अनुदान में भी पिछले वर्ष के मुकाबले कमी आयी है. केंद्रीय कर में राज्य की भागीदारी वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1752 करोड़ रुपये प्रतिमाह की दर से मिल रही थी. अब उसमें भी कमी कर दी गयी है. इससे राज्य सरकार की परेशानी बढ़ी है. केंद्र सरकार एफआरबीएम एक्ट में निर्धारित कर्ज लेने की सीमा 3.25 प्रतिशत से बढ़ा कर 4.25 फीसदी कर दे. जिससे राज्य को अपनी विकास योजनाअों के लिए अतिरिक्त धन मिल सके.
श्री सिंह ने कर्ज और जीडीपी रेशियो को भी 20 प्रतिशत से बढ़ा कर पहले की तरह 50 प्रतिशत करने की मांग की. राज्य सरकार की ओर से खनिजों और उससे मिलनेवाली रॉयल्टी का उल्लेख करते हुए रॉयल्टी दर को बढ़ा कर 20 प्रतिशत करने का अनुरोध किया. साथ ही राज्य सरकार ने केंद्र से नयी राजधानी के लिए 4,000 करोड़ रुपये की मांग की.
साथ ही वित्तीय वर्ष 2019-20 में इसके लिए प्रावधान करने का अनुरोध किया. कहा कि झारखंड में नयी राजधानी अब तक नहीं बनायी जा सकी है. वर्तमान में रांची में स्मार्ट सिटी का निर्माण प्रक्रियाधीन है. पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ को रायपुर में नयी राजधानी सिटी बनाने के लिए पर्याप्त सहायता दी गयी है. झारखंड की भी आवश्यकता केंद्र को पूरी करनी चाहिए.
कैंपा फंड का भी मामला उठा : श्री सिंह ने कहा कि कैंपा फंड के तहत झारखंड को 4,000 करोड़ से अधिक राशि मिलनी है. लेकिन, केंद्र ने अभी तक यह राशि विमुक्त नहीं की है.
राज्य की ओर से अनुरोध किया गया कि जल्द से जल्द यह राशि उपलब्ध करायी जाये. कृषि और सिंचाई का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य में केवल 20 प्रतिशत भूमि पर ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. सिंचाई सुविधा बढ़ाने के लिए सरकार ने 10 नयी बृहत सिंचाई योजना का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा है. राज्य सरकार का अनुरोध है कि केंद्र इसे स्वीकार करते हुए इसे विशेष सिंचाई पैकेज में डालने पर विचार करे.
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