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नयी शिक्षा नीति पर हुआ विचार-विमर्श, विशेषज्ञों ने दिये विचार

रांची :झारखंड राइट टू एजुकेशन फोरम, सेव द चिल्ड्रेन, सीनी व लीड्स की ओर से शिक्षा विभाग की नयी शिक्षा नीति 2019 पर कार्यशाला हुई़ नयी शिक्षा नीति को कैसे विद्यार्थियों के लिए गुणात्मक शिक्षा के रूप में तैयार किया जाये पर विशेषज्ञों ने विचार दिये. राज्य स्तरीय कार्यशाला शनिवार को मेन रोड स्थित होटल […]

रांची :झारखंड राइट टू एजुकेशन फोरम, सेव द चिल्ड्रेन, सीनी व लीड्स की ओर से शिक्षा विभाग की नयी शिक्षा नीति 2019 पर कार्यशाला हुई़ नयी शिक्षा नीति को कैसे विद्यार्थियों के लिए गुणात्मक शिक्षा के रूप में तैयार किया जाये पर विशेषज्ञों ने विचार दिये. राज्य स्तरीय कार्यशाला शनिवार को मेन रोड स्थित होटल एवीएन ग्रांड में हुई़ झारखंड राइट टू एजुकेशन फोरम के समन्वयक एके सिंह ने कहा कि नयी शिक्षा नीति आनेवाले समय में बड़ा बदलाव लायेगी. इसकी खासियत यह होगी कि इसके तहत नि:शुल्क शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है. साथ ही अब बच्चे तीन भाषा प्रणाली को पढ़ेंगे़ इसके तहत मातृभाषा, एक स्थानीय भाषा व अंग्रेजी भाषा प्राथमिक वर्ग से ही सीख सकेंगे. साथ ही निजी स्कूलों में एक मानक व एक नियम होंगे. स्कूलों को चार हिस्से में बांटा गया है़ ऐसे में 25 बच्चों पर एक शिक्षक की जरूरत होगी़
संसाधन जुटाने के लिए राशि जरूरी : डॉ हरिश्वर दयाल ने कहा कि बिना उच्च शिक्षा प्रणाली बेहतर को किये प्रारंभिक शिक्षा को बेहतर नहीं किया जा सकता. उच्च शिक्षा गुणवत्तापूर्ण हो इसके लिए फैकल्टी, पढ़ाई की व्यवस्था और शिक्षा से रोजगार मिल रहा है या नहीं, इसको सुनिश्चित करना होगा. उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अभी भी संसाधनों की कमी है. राशि जुटाना एक चुनौती है. डॉ रमेश शरण ने कहा कि आवासीय विद्यालय, बालिका विद्यालय, अल्पसंख्यक विद्यालय जैसे विद्यालय बेहतर रिजल्ट दे रहे हैं. इन्हें मॉडल स्कूल के रूप में तैयार कर इनकी संख्या को बढ़ाना होगा.

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