यात्री बस चलाने के लिए 93 नये मार्ग चिह्न्ति
रांची : दक्षिणी प्रमंडल अंतर्गत सिंहभूम इलाके सहित पांच अन्य क्षेत्रों में यात्री बस चलाने के लिए 93 नये मार्गो को चिह्न्ति किया गया है. इनमें अकेले सिंहभूम इलाके में 88 मार्ग व जन आवेदन के आधार पर पांच मार्ग शामिल हैं. पांच मार्गो में कुरकुरा से लोहरदगा, जलडेगा से गुमला, लातेहार के पोकला से […]
रांची : दक्षिणी प्रमंडल अंतर्गत सिंहभूम इलाके सहित पांच अन्य क्षेत्रों में यात्री बस चलाने के लिए 93 नये मार्गो को चिह्न्ति किया गया है. इनमें अकेले सिंहभूम इलाके में 88 मार्ग व जन आवेदन के आधार पर पांच मार्ग शामिल हैं. पांच मार्गो में कुरकुरा से लोहरदगा, जलडेगा से गुमला, लातेहार के पोकला से घाघरा, गोयलकारो से सोनुवा चाईबासा-टाटा, दाढ़ीशोल से टाटा भाया घाटशिला शामिल हैं. इन मार्गो पर यात्रियों की सुविधा के लिए बसों का परिचालन होगा.
हालांकि स्वीकृति से पूर्व संबंधित जिले के डीसी व एसपी से मार्ग की स्थिति, सुरक्षा, पैसेंजर आदि की विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त कर उसकी समीक्षा की जायेगी. इसके अलावा अब अधिसूचित राष्ट्रीयकृत मार्गो पर दिये गये स्थायी परमिट को लंबित रखते हुए सभी वाहन मालिकों को लंबित नवीकरण अस्थायी परमिट जारी की जायेगी. उक्त निर्णय आयुक्त सह रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑथोरिटी के अध्यक्ष केके खंडेलवाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑथोरिटी (आरटीए) की बैठक में लिये गये. बैठक में आरटीए सचिव राजकुमार सहित मोतीलाल अग्रवाल, ओमप्रकाश सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे.
बैठक में निर्णय लिया गया कि अब नया चेचिस के लिए अस्थायी परमिट नहीं दी जायेगी, जबकि समय सारणी में फेरबदल अब आरटीए ही करेगा. शहर में बस चलाने के लिए नगर विकास विभाग व नगर निगम ही उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार क्षेत्र, पर्यावरण, सड़क, बस की स्थिति का आकलन कर चलाने की अनुमति दे सकेगा. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि 27 जून 2014 तक जमा स्थायी व अस्थायी परमिट के आपत्ति के लिए अब एक हजार रुपये शुल्क लगेंगे.
अपील सुनने का अधिकार अब आरटीए सचिव से लेकर आरटीए को दिया गया, जबकि नेशनल परमिट निर्गत करने के लिए आरटीए सचिव का अधिकृत किया गया. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीयकृत रूट (जिसमें राज्य ट्रांसपोर्ट की बसों के लिए) स्वीकृत था. जब तक इसकी अधिसूचना रद्द नहीं हो जाती है, तब तक दूसरे प्राधिकार से निर्गत स्थायी परमिट को प्रति हस्ताक्षरित करने का अधिकार आरटीए की जगह सरकार के पास होगा, जबकि अंतर प्रादेशीय अस्थायी परमिट निर्गत करने का अधिकार आरटीए को होगा.