रांची :हर महीने 10 लाख लीटर से ज्यादा डीजल फूंक रही औद्योगिक इकाइयां

बिपिन सिंह बिजली आपूर्ति लचर होने के कारण बढ़ी डीजल की खपत बहुमंजिले परिसरों में भी बढ़ी डीजल की खपत, प्रति अपार्टमेंट हर महा फूंक रहे 8000 रुपये का डीजल कॉस्ट कटिंग के लिए एयरकंडीशनर को क्षमता से कम में चला रहे शहर के शोरूम और मॉल रांची : राजधानी की बिजली व्यवस्था लचर होने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 28, 2019 9:28 AM
बिपिन सिंह
बिजली आपूर्ति लचर होने के कारण बढ़ी डीजल की खपत
बहुमंजिले परिसरों में भी बढ़ी डीजल की खपत, प्रति अपार्टमेंट हर महा फूंक रहे 8000 रुपये का डीजल
कॉस्ट कटिंग के लिए एयरकंडीशनर को क्षमता से कम में चला रहे शहर के शोरूम और मॉल
रांची : राजधानी की बिजली व्यवस्था लचर होने के कारण पिछले कुछ महीनों में आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों में डीजल की खपत काफी बढ़ गयी है. वैकल्पिक ऊर्जा के तौर पर डीजल के ऊपर अत्यधिक निर्भरता पर्यावरण पर भी बुरा असर डाल रही है. वहीं, आम उपभोक्ताओं का भी बजट बिगड़ गया है.
बहुमंजिला आवासीय परिसर में रात-दिन जेनेरेटर चलने की वजह से मेंटेनेंस के मद में डीजल के लिए रुपये कम पड़ रहे हैं. 16 फ्लैट के एक अपार्टमेंट में जहां पिछले साल जून में डीजल पर प्रतिमाह 5000 खर्च हो रहे थे, वहीं इस साल जून में यह खर्च 8000 के करीब पहुंच गया है. इधर, रोजाना होने वाले पावर कट के चलते बड़े-बड़े शोरूम और मॉल का बैलेंस सीट बिगड़ गया है. कॉस्ट कटिंग के लिए यहां लगे एयरकंडीशनर को क्षमता से कम चलाया जा रहा है.
औद्योगिक इकाइयों में प्रति यूनिट उत्पादन कास्ट बढ़ा : डीजल की खपत बढ़ने के चलते औद्योगिक इकाइयों का प्रति यूनिट उत्पादन कास्ट बढ़ा है. पिछले चार माह में औद्योगिक इकाइयों में प्रतिमाह 10 लाख लीटर डीजल की खपत बढ़ गयी है.
साल-दर-साल बढ़ती जा रही है डीजल की खपत : बिजली की लचर व्यवस्था के कारण पिछले चार साल में औद्योगिक इकाइयां लगभग 231 करोड़ रुपये का डीजल फूंक चुकी हैं. यह हाल तब है जब राज्य के अंदर हाल के वर्षों में कई उद्योग बंद हुए हैं. वर्ष 2015 में प्रतिमाह 6.90 लाख लीटर डीजल की खपत थी, जो 2018 तक बढ़कर प्रतिमाह 8 लाख लीटर से ज्यादा हो गयी है.
झारखंड के अंदर ऑयल सेक्टर की तीन बड़ी कंपनियां आइओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने संयुक्त रूप से फरवरी महीने में 152 हजार किलोलीटर डीजल की बिक्री की. जबकि गर्मी बढ़ने के साथ ही यह आंकड़ा बढ़ता चला गया. मार्च में यह 164 तो मई में यह 160 टीकेएल रहा.
सर्विस देने में जेबीवीएनएल फिसड्डी
राजधानी में उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देने और आपूर्ति सुधारने के नाम पर झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने करीब 400 करोड़ फूंक दिये. इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी उपभोक्ता रोजाना पावर कट से परेशान रहते हैं. उधर, जमशेदपुर में जुस्को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति कर रही है.
बिजली की कीमतें बढ़ाने के बाद भी लचर बिजली व्यवस्था के खिलाफ झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग कभी सख्त नहीं हुआ. जबकि आयोग के सेक्शन 88 के प्वाइंट चार में प्रावधान है, कि वह उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखते हुए यह सुनिश्चित कराये कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण बिजली मिले.
औद्योगिक इकाइयों में डीजल की खपत
केस स्टडी -1
कोकर इंडस्ट्रियल एरिया, पब्लिकेशन क्षेत्र से जुड़ी कंपनी
महीना डीजल की खपत कीमत
मई 1, 940 लीटर 1,29,623
जून अब तक 2,747 लीटर 1,80,465
केस स्टडी -2
टाटीसिलवे इंडस्ट्रियल एरिया, केमिकल क्षेत्र से जुड़ी कंपनी
महीना डीजल की खपत
फरवरी 510 लीटर
मार्च 550 लीटर
अप्रैल 620 लीटर
मई 750 लीटर
जून 760 लीटर
केस स्टडी -3
बूटी मोड़ इंडस्ट्रियल एरिया, केमिकल क्षेत्र से जुड़ी कंपनी
महीना डीजल की खपत
फरवरी 1200 लीटर
जून में अब तक 1800 लीटर
जेबीवीएनएल की आपूर्ति व्यवस्था लचर है. इस कारण हमें प्रोडक्शन घटाना पड़ रहा है. डीजल की खपत के चलते औद्योगिक इकाइयों की उत्पादन लागत काफी बढ़ गयी है. बूटी मोड़ इलाके में 11 हजार स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर से 425 की जगह पर 370 वोल्ट (लो-वोल्टेज) की शिकायत रहती है. इससे मशीन चलाने के लिए हमें जेनरेटर का सहारा लेना पड़ रहा है.
विश्वराम चौधरी, जेनरल मैनेजर, वैक्सपॉल इंडस्ट्रीज

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