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रांची : जमीन मामले में सीओ सीआइ व कर्मचारी पर भी होगी कार्रवाई
रांची : पूर्व डीजीपी डीके पांडेय की पत्नी पूनम पांडेय सहित अन्य लोगों के नाम कांके के चामा मौजा में खरीदी गयी जमीन के मामले में कांके के तत्कालीन अंचलाधिकारी, अंचल निरीक्षक व कर्मचारी के विरुद्ध भी कार्रवाई होगी. अब तक की जांच में उक्त जमीन की जमाबंदी को गलत पाया गया है. अब जमाबंदी […]
रांची : पूर्व डीजीपी डीके पांडेय की पत्नी पूनम पांडेय सहित अन्य लोगों के नाम कांके के चामा मौजा में खरीदी गयी जमीन के मामले में कांके के तत्कालीन अंचलाधिकारी, अंचल निरीक्षक व कर्मचारी के विरुद्ध भी कार्रवाई होगी.
अब तक की जांच में उक्त जमीन की जमाबंदी को गलत पाया गया है. अब जमाबंदी रद्द करने की कार्रवाई की जायेगी. जमाबंदी रद्द करने की अनुशंसा के साथ ही इस मामले में दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का प्रस्ताव भेजा जायेगा.
यह देखा जा रहा है कि इस पूरे प्रकरण में किन कर्मियों की संलिप्तता है. यह भी देखा जा रहा है कि इस पूरे प्रकरण में दो स्तर पर कैसे चूक हुई है. सवाल खड़ा हो रहा है कि सबसे पहले आमोद के नाम जमाबंदी कैसे हुई. जमाबंदी के साथ ही सारे दस्तावेज अॉनलाइन कैसे हुए. इस मामले में कौन जिम्मेवार हैं. अब कांके अंचल के इन कर्मियों को चिह्नित किया जायेगा.
जून 2018 में आमोद कुमार ने पूनम पांडे के नाम जमीन रजिस्ट्री की. वहीं अामोद कुमार ने सरदार वल्लभ भाई गृह निर्माण स्वावलंबी सहकारी समिति को जमीन विक्रय का पावर दे दिया और इस समिति ने कई लोगों को रजिस्ट्री की.
इसके बाद इन खरीदारों का कांके अंचल कार्यालय ने दाखिल खारिज कर रसीद भी निर्गत कर दिया. दूसरी चूक यहां अंचल कार्यालय में हुई. यहां दाखिल खारिज के समय भी दस्तावेजों की ठीक से जांच नहीं हुई या इसे नजरअंदाज किया गया. इस गड़बड़ी के जिम्मेवारों के नाम भी तय किये जा रहे हैं.
प्रभात सीओ व चंचल किशोर थे सीआइ
जांच में यह बातें सामने आयी है कि जिस समय खरीदारों का दाखिल खारिज हुआ है. उस समय कांके अंचल के सीअो प्रभात भूषण थे. फिलहाल उनका यहां से तबादला हो गया है. वहीं चंचल किशोर अंचल निरीक्षक थे. वह सेवानिवृत्त हो गये हैं. संबंधित मौजा के मामले को देखने वाले कर्मचारी भुवनेश्वर थे. इस मामले में इन सारे कर्मियों से पूछताछ हो सकती है.
जमाबंदी रद्द करेंगे मंत्री
जमीन की जमाबंदी रद्द करने का प्रस्ताव राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री को भेजा जायेगा. उपायुक्त द्वारा सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए संचिका विभाग को भेज दी जायेगी. वहां से मंत्री के पास मामला जायेगा, फिर मंत्री जमाबंदी रद्द करेंगे. इस प्रस्ताव के साथ मामले में संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई का भी प्रस्ताव भेजा जायेगा.
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