नवविवाहित जोड़े रथयात्रा के दिन लौटाते हैं मौउरी

रांची : भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के साथ कई तरह की परंपराएं जुड़ी हैं. रथयात्रा के दिन सड़क किनारे मौउर का ढेर लगा रहता है. नवविवाहित जोड़े मौउर लेकर यहां पहुंचते हैं और दान करते हैं. मौउर के साथ चावल और कुछ पैसे. अपनी श्रद्धा के अनुसार और भी कई चीजें दान दी जाती हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2019 12:55 PM

रांची : भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के साथ कई तरह की परंपराएं जुड़ी हैं. रथयात्रा के दिन सड़क किनारे मौउर का ढेर लगा रहता है. नवविवाहित जोड़े मौउर लेकर यहां पहुंचते हैं और दान करते हैं. मौउर के साथ चावल और कुछ पैसे. अपनी श्रद्धा के अनुसार और भी कई चीजें दान दी जाती हैं. रथयात्रा के दिन सड़क पर मौउरी का ढेर लगा रहता है कई जगहों पर इस ढेर की लंबी कतार रहती है.

पीढ़ियों से चली आ रही है परंपरा
मौउरी दान के लिए जगन्नाथपुर आये महेश और पूजा की शादी इसी साल 13 मई को हुई. शादी के बाद इनके परिवार में भी यह परंपरा है कि रथयात्रा के दिन मौउरी दान किया जाता है. महेश बताते हैं कि मौउरी के साथ शादी का बचा सामान, चावल और कुछ पैसे इस दिन दान किये जाते हैं. सुबह उठकर पूजा पाठ करते हैं और दान के बाद भगवान जगन्नाथ के दर्शन. इस दिन मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को भी कुछ दान देने की परंपरा है.
मौउरी दान के लिए सुजीत कुमार भी अपनी पत्नी के साथ पहुंचे. सुजीत बताते हैं कि आज मौउरी दान के दिन सुबह उठकर मड़वा में पूजा होती है. पूजा के बाद मौउरी दान होता है. हमारे यहां यह परंपरा शदियों से चली आ रही है. मेरे दादा – परदादा ने भी यही परंपरा निभायी थी. हम रथयात्रा का इंतजार करते हैं कि इस दिन यह परंपरा निभानी है. शादी के बाद एक यही परंपरा है जिसके बाद हमें लगता है कि अब शादी हो गयी. जबतक मौउरी घर पर रहता है तबतक इस दिन का इंतजार रहता है.
जो मौउरी दान लेते हैं
भुनेश्वर माली लगभग 35 सालों से मौउरी ले रहे हैं. यहां से मौउरी लेकर भुनेश्वर उसे नदी प्रवाहित करते हैं .भुनेश्वर कहते हैं हम भी पीढ़ियों से यह काम कर रहे हैं . रथयात्रा के दिन लोग आते हैं हमें मौउरी देते हैं. इसे फेराना कहते हैं. सुप्रिया अपने माता पिता के साथ इस काम में लगी हैं. सुप्रिया के साथ उसका छोटा भाई भी उसके साथ मौउरी दान लेता है. सुप्रिया कहती हैं हम कुछ मौउरी को दोबारा तैयार करते हैं और बाजार में बेच देते हैं. कुछ मौउरी जिसे दोबारा नहीं बनाया जा सकता उसे नदी में प्रवाहित कर देते हैं.

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