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एचइसी इलाके में नहीं जलती हैं स्ट्रीट लाइट

विधानसभा, प्रोजेक्ट भवन, जेएससीए स्टेडियम की सड़क रहती है अंधेरे में आये दिन होती है दुर्घटना रांची : रात में कभी दुधिया रौशनी से जगमगाने वाला एचइसी परिसर आज अंधेरे में डूबा रहता है. परिसर में राज्य के सचिवालय, विधानसभा, राजनेताओं और सरकार के आला अधिकारियों के आवास हैं, बावजूद इसके एचइसी के कॉलोनियों में […]

विधानसभा, प्रोजेक्ट भवन, जेएससीए स्टेडियम की सड़क रहती है अंधेरे में

आये दिन होती है दुर्घटना

रांची : रात में कभी दुधिया रौशनी से जगमगाने वाला एचइसी परिसर आज अंधेरे में डूबा रहता है. परिसर में राज्य के सचिवालय, विधानसभा, राजनेताओं और सरकार के आला अधिकारियों के आवास हैं, बावजूद इसके एचइसी के कॉलोनियों में बिजली व्यवस्था दुरुस्त नहीं है. मुख्य सड़क को छोड़ दें, तो अगल-बगल की सड़कों पर स्ट्रीट लाइट तक की व्यवस्था नहीं है.

कभी थे 25 सौ स्ट्रीट लाइट : एचइसी की स्थापना काल के दौरान 80 किमी की सड़कों पर 25 सौ स्ट्रीट लाइट के पोल लगाये गये थे. फिलवक्त इसमें करीब 50 से 60 ही दुरुस्त हैं. शेष रख-रखाव के अभाव में जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं. 1970 के दशक के बाद जैसे-जैसे एचइसी की स्थिति खराब होती गयी, प्रबंधन ने इस ओर ध्यान देना बंद कर दिया. करीब छह हजार आवास दीर्घकालीन लीज पर दे दिये गये. तीन हजार आवास राज्य सरकार को दिये गये. अब आवासीय परिसर में कोई ऐसी गली नहीं जहां स्ट्रीट लाइट लगी हो. कहीं-कहीं कॉलोनी के लोगों के परिश्रम से इसे लगाया गया है. कुछ कॉलोनी के उत्साहित युवकों ने चंदा कर अपने घरों के सामने पोल पर लाइट की व्यवस्था की है. वहीं आवासीय परिसर में विधानसभा, प्रोजेक्ट भवन, जेएससीए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम है. लेकिन सभी रास्तों पर लाइट नहीं रहने से लोगों को परेशानी होती है.

प्रबंधन नहीं दे रहा ध्यान : एचइसी प्रबंधन स्ट्रीट लाइट पर सालाना कुछ खर्च नहीं करता है. वर्तमान में निगम की आर्थिक स्थिति में एक हद तक बदलाव आया है. लगातार सात वर्ष तक कंपनी ने लाभ अजिर्त किया है. इसके बाद भी सामाजिक कार्यो से प्रबंधन पीछे हटता जा रहा है.

शाम होने के बाद बाहर निकलना मुश्किल : एचइसी निवासी पीके सिंह ने बताया कि सभी जगह शिकायत कर थक चुके है. शाम होने के बाद बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. सुबह सूर्योदय के बाद ही टहलने के लिए निकल सकते हैं. एसएस सिंह कहते हैं कि राजधानी की सबसे प्रतिष्ठित जगह होने के बाद सरकार ध्यान नहीं दे रही है.

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