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पुणे में नौकरी छूटी, तो रांची में खोला टी सेंटर, वकील हो या मुवक्किल, यहां आकर भूल जाते हैं कोर्ट रूम की सारी टेंशन

प्रवीण मुंडा सिविल कोर्ट का फूड कोर्ट. मुकदमों पर चर्चा के बीच चाय-नाश्ते संग टाइमपास रांची : अगर आप कभी जाने-अनजाने कोर्ट परिसर से रूबरू हुए होंगे, तो वहां आसपास मौजूद छोटे-मोटे ठेले और फूड स्टॉल अलग ही रंग बिखेरते नजर आयेंगे. कोर्ट परिसर और बार भवन आनेवाले शख्स कुछ देर के लिए इन फूड […]

प्रवीण मुंडा
सिविल कोर्ट का फूड कोर्ट. मुकदमों पर चर्चा के बीच चाय-नाश्ते संग टाइमपास
रांची : अगर आप कभी जाने-अनजाने कोर्ट परिसर से रूबरू हुए होंगे, तो वहां आसपास मौजूद छोटे-मोटे ठेले और फूड स्टॉल अलग ही रंग बिखेरते नजर आयेंगे. कोर्ट परिसर और बार भवन आनेवाले शख्स कुछ देर के लिए इन फूड कोर्ट में आकर अपनी टेंशन भूल जाते हैं. यहां चाय की चुस्की और हल्के-फुल्के नाश्ते के बीच सुकून के चंद पल नसीब होते हैं. यहां आनेवाले अधिवक्ता अपने मुवक्किलों के साथ चाय पीते, धुसका-सिंघाड़ा खाते हुए अपने मुकदमों और संघर्ष के किस्सों की चर्चा करते हैं. दूरदराज से आनेवाले ग्रामीणों के लिए भी यह फूड कोर्ट राहत देनेवाला होता है.
बारिश में होती है परेशानी : कोर्ट परिसर में ठेला और स्टॉल लगाने वालों को कई तरह की परेशानियों से भी गुजरना पड़ता है. इनका कोई स्थायी ठिकाना नहीं है़ बरसात में जहां अक्सर इन्हें बारिश में भीगते हुए बिक्री करनी होती है, वहीं गर्मी में कड़ी धूप से इनका सामना होता है. कोर्ट में अवकाश के दिनों में इन्हें नया ठिकाना खोजना पड़ता है, जहां ये बिक्री कर अपने परिवार का पेट पाल सकें.
चना-भूंजा बेचकर चलाते हैं परिवार
51 वर्षीय जुगल किशोर साह, 50 वर्षीय अशोक कुमार अौर मेघनाथ नये बार भवन के पास चना और भूंजा बेचकर अपना परिवार चला रहे हैं. ये सभी 200 से 250 रुपये प्रतिदिन कमा लेते हैं.
जूस बेचकर करते हैं गुजारा : सिविल कोर्ट मुख्य द्वार के पास ही सूरज कुमार जूस बेचते हैं. वे आठ-नौ साल से यह काम कर रहे हैं. रोज 300 से 400 रुपये तक कमा लेते हैं. आठ लोगों का परिवार वे इसी काम से चलाते हैं. राजेश साहू पिछले 40 साल से कोर्ट परिसर के पास धुसका-बर्रा बेच रहे हैं.
जब लालू ने चाय पी, तो बढ़ गयी बिक्री : अशोक चाय की छोटी सी दुकान लगाते हैं. उनके यहां डेढ़-दो साल पहले मामले की सुनवाई के लिए पहुंचे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने भी चाय पी थी. उसके बाद से अशोक की चाय की सेल काफी बढ़ गयी है.
सिविल कोर्ट रांची के मुख्य द्वार से कुछ ही दूरी पर प्लास्टिक की चादर तानकर युवा किशोर कुमार अपनी चाय का स्टॉल लगाते हैं. मिट्टी के कुल्हड़ में अपनी मीठी मुस्कान के साथ अधिवक्ताअों अौर उनके मुवक्किलों को चाय पिलाते हैं. यहां थोड़ी देर के लिए लोग अपनी परेशानियों को भूलकर चाय की चुस्की लेते हुए गप्पे हांकते हैं अौर फिर आगे बढ़ जाते हैं. इंटर तक पढ़े किशोर कुमार पहले पुणे में ऑटो चलाते थे. जब काम छूटा, तो वापस रांची आ गये. चाय बेचकर ही वह अपना परिवार चलाते हैं. दिन अच्छा होता है, तो वे 500 से 600 रुपये तक कमा लेते हैं.

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