रांची : व्यक्ति गरीब हो सकता है, लेकिन गांव गरीब नहीं होता है. हर गांव समृद्ध होता है. उसकी समृद्धि को सतह पर लाने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत होती है. यह प्रयास केवल सरकारी सहयोग से नहीं हो सकता है. सरकारी सहयोग के बिना भी समृद्धि आ सकती है. इसके लिए गांव के लोगों को मानसिकता बदलनी होगी. राज्य के कुछ गांव यह उदाहरण भी पेश कर रहे हैं.
यह बात मनरेगा आयुक्त सह भारतीय वन सेवा के अधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कही. वह पंचायतनामा के स्थापना दिवस पर मंगलवार को प्रभात खबर के सभागार में आयोजित गोष्ठी में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि गांव का विकास करना हो, तो उसको मन से जोड़ना होगा. इसके लिए कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं हो सकता है. अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ संपादक अनुज कुमार सिन्हा ने किया. इस मौके पर प्रभात खबर के वाइस प्रेसिडेंट विजय बहादुर और स्थानीय संपादक संजय मिश्र ने भी विचार रखा.
देश में नहीं निकल रही है इस तरह की कोई दूसरी पत्रिका
झारखंड आजीविका मिशन के कुमार विकास ने कहा कि पंचायतनामा जैसी पत्रिका देश में कहीं नहीं निकल रही है. भारत सरकार की संयुक्त सचिव स्तर की अधिकारी यहां से कुछ अंक आइआइएमसी के बच्चों को दिखाने के लिए ले गयी थीं.
हार्प प्लांडू के वरीय वैज्ञानिक सुदर्शन मौर्य ने कहा कि समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं, जब ग्रामीणों ने इस पत्रिका का नाम लेकर घटनाओं का जिक्र किया है. इसमें कृषि शिक्षा, प्रशिक्षण और रोजगार के लिए भी स्थान होना चाहिए.
गांव ही नहीं शहरों में भी होना चाहिए जल संरक्षण का प्रयास
ब्रांबे के मुखिया जयवंत तिग्गा ने कहा कि वर्तमान में झारखंड ही नहीं पूरे देश में जल संरक्षण की बात हो रही है़ यह केवल किसी एक गांव का मुद्दा नहीं है. इसके लिए शहरों में भी प्रयास होना चाहिए. हर किसी को इस दिशा में पहल करने की जरूरत है़
युवा खेती से कैसे जुड़ें, इस पर सभी को बात करनी चाहिए
बोड़ेया की मुखिया डॉ जया भगत ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि भारत कृषि प्रधान देश है़ लेकिन बदलते परिवेश में आज के युवा खेती-किसानी से भाग रहे हैं. ऐसे में उनका आकर्षण खेती में कैसे बढ़ाया जाये, इस पर काम करना चाहिए.
पंचायतनामा को जैविक खेती का चेंज एजेंट बनायें
बीएयू के संपादक पंकज वत्सल ने कहा कि पंचायतनामा को जैविक खेती का चेंज एजेंट बनाना चाहिए. झारखंड में कई लोग जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं. ऐसे लोगों को प्रमोशन दिया जाना चाहिए. इससे उनका मनोबल बढ़ेगा और वे बेहतर करने के लिए कुछ नया सीखेंगे़
पहले पेपर पढ़ने की आदत नहीं थी, अब तो खबर लिख रही हूं
अनगड़ा की कम्युनिटी जर्नलिस्ट रूबी खातून ने कहा कि पहले अखबार पढ़ने की आदत नहीं थी. कम्युनिटी जर्नलिस्ट का प्रशिक्षण लेने के बाद कई इंटरव्यू और लेख अखबारों में छप चुके हैं. इसकी सराहना पीएम और सीएम कर चुके हैं
महिलाओं की आवाज ही नहीं ताकत बन गयी है पंचायतनामा
जिला परिषद उपाध्यक्ष पार्वती देवी ने कहा कि पंचायतनामा महिलाओं की आवाज है. यह एेसा माध्यम है, जिससे जनता तक अपनी आवाज पहुंचा पा रही हूं. वहीं इस पत्रिका के माध्यम से महिलाएं भी जनप्रतिनिधियों तक अपनी बात पहुंचा रही है़ं
जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सभी को आगे आना होगा
अच्छा करनेवालों को प्रोत्साहित करें, उनका मनोबल बढ़ेगा
मांडर के किसान गंदुरा उरांव ने कहा कि पहली बार मेरी सफलता की कहानी अखबारों में छपी तो अच्छा लगा था. जो भी लोग किसी भी क्षेत्र में अच्छा कर रहे हैं उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए. इससे उनका मनोबल बढ़ेगा़ वे और बेहतर करेंगे़