रांची : साल भर हरा-भरा रहता है संत अलबर्ट कॉलेज कैंपस
12 साल पहले वैज्ञानिक तकनीक से बना था रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम रांची : राजधानी के बीचोबीच, लाइन टैंक रोड पर स्थित संत अलबर्ट कॉलेज का कैंपस साल भर हरा-भरा रहता है. इस हरियाली में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की बड़ी भूमिका है. इस मसीही धर्मशिक्षा केंद्र के रेक्टर फादर दीपक ताऊरो ने बताया कि 106 […]
12 साल पहले वैज्ञानिक तकनीक से
बना था रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
रांची : राजधानी के बीचोबीच, लाइन टैंक रोड पर स्थित संत अलबर्ट कॉलेज का कैंपस साल भर हरा-भरा रहता है. इस हरियाली में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की बड़ी भूमिका है.
इस मसीही धर्मशिक्षा केंद्र के रेक्टर फादर दीपक ताऊरो ने बताया कि 106 साल पुराने इस कॉलेज में शुरू से ही वर्षा जल के संग्रहण पर ध्यान दिया गया और इसके लिए योजना तैयार की गयी. इसके विभिन्न भवनों के लगभग 50,000 वर्ग फीट की छत के पानी के लिए कॉलेज के तालाब तक जल मार्ग बनाया गया.
यहां 12 साल पहले बने इस रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए वैज्ञानिक तकनीक अपनायी गयी. पांच वाटर हार्वेस्टिंग पिट बनाये गये हैं. वर्षा जल का लगभग 80-85 फीसदी पानी रिचार्ज के लिए इस्तेमाल हो रहा है. अब छत का पानी वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट की ओर जाता है, जो भूजल को रिचार्ज करता है. वहीं, अतिरिक्त पानी तालाब की ओर भेज दिया जाता है. खेल के मैदान में भी पिट बनाया गया है.
बुके प्रथा की इतिश्री, हर साल लगाते हैं पौधे : फादर दीपक ताऊरो ने कहा कि अब अतिथियों को गुलदस्ता देने की प्रथा समाप्त कर दी गयी है. इसकी जगह उन्हें पौधे दिये जाते हैं. कैंपस में हर साल पौधे लगाये जाते हैं. कैंपस में प्लास्टिक पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. एक अनुमान के अनुसार 50, 000 वर्गफीट की छत से सालाना लगभग 60 लाख लीटर पानी से ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता है.