ये हैं रांची के रैंचो, बनाया ऐसा ड्रोन जो दूसरे शहर से भी होगा कंट्रोल, बॉर्डर पर घुसपैठियों के लिए बन सकता हैं आफत

सुमीत कुमार वर्मा प्रभातखबर.कॉम रांची : फिल्म थ्री इडियट्स का फेमस कैरेक्टर रणछोड़ दास चांचड़ उर्फ रैंचो आपको पूरी तरह से याद होगा. इसकी भूमिका मिस्टर परफेक्ट आमिर खान ने निभायी थी. रैंचो ने फिल्म में एक ड्रोन बनाया था. कुछ ऐसा ही ड्रोन रांची के सोनू ने बनाया है. आजकल विभिन्न तरह के ड्रोन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2019 1:06 AM
सुमीत कुमार वर्मा
प्रभातखबर.कॉम
रांची : फिल्म थ्री इडियट्स का फेमस कैरेक्टर रणछोड़ दास चांचड़ उर्फ रैंचो आपको पूरी तरह से याद होगा. इसकी भूमिका मिस्टर परफेक्ट आमिर खान ने निभायी थी. रैंचो ने फिल्म में एक ड्रोन बनाया था. कुछ ऐसा ही ड्रोन रांची के सोनू ने बनाया है. आजकल विभिन्न तरह के ड्रोन विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग में लाए जा रहे हैं, जैसे सर्विलेंस, शादी, होम डिलेवरी व अन्य. लेकिन जरा सोचिए एक ड्रोन ही सारे काम करें तो? रांची से बैठ कर दिल्ली में उड़ाया जाये तो? जी हां ऐसा ही कुछ कर दिखाया हैं रांची के सोनू ने. उन्होंने एक ऐसा ड्रोन बनाया हैं जो विभिन्न तरह के काम आर्टिफिशियल इंटेलेजेंसीय की मदद से कर सकता हैं. उनकी ये उड़ान भविष्य में अलग-अलग तरह के ड्रोन की उड़ानों के पंख कुतर सकती हैं.
सोनू गढ़ेवार के पिताजी बिजनेस मैन और मां हॉउस वाइफ हैं. सोनू की तरह उनकी बहन भी इंजीनियरिंग की ही स्टूडेंट हैं. तीन साल उड़ीसा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते हुए सोनू ने कई मुकाम हासिल किये और कई अभी करना बाकी हैं.
टेक्नॉलाजी के प्रति झुकाव
बचपन से इनका झुकाव टेक्नॉलाजी के प्रति था. किताबी ज्ञान से ज्यादा इन्हें प्रैक्टिल नॉलेज प्राप्त करने में रूची रही हैं. सोनू के अनुसार कोई मशीन कैसे चलती हैं, उसके बैकइंड पर किये गये काम और दिमाग को जानने में इनका पूरा ध्यान रहता हैं.
सोनू बताते हैं कि जब वे 11वीं कक्षा के छात्र थे तब साइबर सेक्यूरिटी का बड़ा क्रेज था. ऐसे में उन्होंने उसी समय से बड़े-बड़े कंपनियों के लिए बग-हंटिंग करना शुरू कर दिया था.
क्या है बग-हंटिंग

दरअसल ऐथेटिक्ल हैकरों द्वारा साइबर सेक्योरिटी के लिये किये जाने वाले निरीक्षण को बग-हंटिंग कहते हैं. इसमें हैकर फेसबुक, गूगल, याहू, यू-ट्यूब जैसे बड़े-बड़े कंपनियों के द्वारा बनाये गये एप्लीकेशन व वेबसाइट में मौजूद सेक्यूरिटी संबंधित खामियों को वीडियो प्रूफ के साथ उस कंपनी को सौंपते हैं और बताते हैं कि आपके एप्लीकेशन में यह इनसिक्योरिटी मौजूद हैं. बदले में कंपनी की ओर से इन्हें रिवार्ड दिया जाता हैं.
कंपटीशन जीतने के बाद बढ़ा हौसला
सोनू ने बताया जब वे अपने पहले साल की इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे तब सीसको ने आईओटी हैकोथन प्रतियोगिता का आयोजन किया था, जिसमें सोनू अपनी टीम के साथ स्टेट फिर नेशनल लेवल पर जीत हासिल की थी. इससे उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा.
क्या हैं ड्रोन
ड्रोन एक अनमैनड एरियल वेह्किल (यूएवी) कहलाता हैं. इसका मतलब हैं एक ऐसा वाहन जिसके अन्दर कोई न हो फिर भी वह बाहर से किसी रिमोट के द्वारा कंट्रोल किया जा सके. इसे उड़ाने के लिए एक मैनपावर की जरूरत पड़ती हैं. उसे ड्रोन पायलट कहते हैं.
सोनू बताते है कि जब वे इंजीनियरिंग के दूसरे साल की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्होंने अपने ड्रोन पर रिसर्च करने के के बारे में घर पर बात की. पिताजी ने उन्हें आश्वसत किया और फाइनेंशियली मदद करने का वादा किया, बस फिर क्या था, सोनू लग गये ट्रेडिशनल ड्रोन की रूपरेखा को बदलने में.
क्या खास हैं सोनू के ड्रोन में

बार-बार गलतियां करने के बाद सोनू ने एक ऐसा ड्रोन बनाया जिसमें सोचने की क्षमता हैं.
1. मतलब आपको एकबार पायथन भाषा में लिखे कोड की कोडिंग करनी हैं और ड्रोन में पेस्ट कर देना हैं. फिर किसी आम ड्रोन की तरह ड्रोन पायलट को लगातार उसके उड़ान के पीछे लगे रहने की जरूरत नहीं हैं. दिये हुये काम की आर्टिफिशियली इंटेलेजेंसीय के द्वारा बखूबी से करके वापस आ जायेगा इनका ड्रोन.
2. इतना ही नहीं इन्होंने ड्रोन की कनेक्टिविटी पर भी काम किया हैं. आमतौर पर बने ड्रोन रेडियो फ्रीक्वेंसी या टेलीमेट्री पर काम करते हैं. रेडियो फ्रीक्वेंसी ड्रोन के उड़ने की क्षमता 3-4 किलोमीटर तक होती हैं, जबकी टेलीमेट्री से बनी ड्रोन की क्षमता ज्यादा से ज्यादा 10 किलोमीटर तक होती हैं. सोनू बताते हैं कि उनकी ड्रोन को दिल्ली में बैठा आदमी रांची से उड़ा सकता हैं.
3. सेना के लिए भी रामबाण साबित हो सकती हैं यह ड्रोन, सोनू के अनुसार अगर इनकी बनायी ड्रोन किसी बार्डर पर सर्विलांस दे रही हैं और कहीं कोई घुसपैठी आतंकी इसके रेंज में आ गया तो बिना किसी इंसानी मदद के लगातार उस आतंकी का पीछा करते रहेगी यह ड्रोन. और सूचनाएं हेडक्वाटर में उपलब्ध करवाते रहेगी.
4. सोनू ने हैकक्राफ्ट (www.hackcraft.in) के नाम से अपनी कंपनी खोल रखी हैं जिसमें उनके बिजनेस पार्टनर हैं विनय श्रीधर. यह कंपनी ड्रोन में तो डील करती ही हैं, साथ-ही-साथ स्टार्ट अप को ऑफर करती है कि आप ड्रोन के मॉड्यूल पर ध्यान दें. उसकी उड़ान पर ज्यादा समय बरबाद न करें क्योंकि यह काम सोनू की कंपनी कर देती हैं जैसे ड्रोन की स्टेबिलीटी, सेफ लैंडिंग, फेल सेफ सर्पोट व अन्य.
5. ड्रोन की मिसयूज ने हो इसलिए इनकी ड्रोन में पावर ऑन करते ही फेसबूक, जीमेल की तरह लॉग-इन का ऑप्शन आता हैं. किसी भी ड्रोन को उड़ाने के लिए डीजीसीए से परमिशन लेनी पड़ती हैं. इनके ड्रोन में भी लेनी होती हैं. उसके बाद डीजीसीए कुछ सूचनाएं देते हैं जिसे इनके ड्रोन में फीड करना होता हैं वरना ड्रोन उड़ान नहीं भरेगी.
6. इनकी ड्रोन की कंट्रोल एबिलिटी लेयर्स में विभाजित हैं. भविष्य में कभी कोई प्रोग्राम क्रैश कर जाये तो यह खुद-व-खुद उसे रेक्टिफाई कर लेती हैं. और सेफ मोड में यानी रिर्टन-टू-होम में आ जाती हैं. जिसके कारण ड्रोन कहीं क्रैश होकर गिरती नहीं हैं और सेफ लैंडिंग हाती हैं.
7. ड्रोन में एक और यूनिक फीचर डाला गया हैं जिसे स्वार्म टेक्नॉलाजी कहते हैं. जो कृषि क्षेत्र के लिये तो लाभकारी हैं ही साथ ही साथ रेस्क्यू ऑपरेशन बहुत ही कम समय में सटीकता के साथ कर सकता हैं. इसमें 3-4 ड्रोन एक साथ बराबर समय में एक दुसरे के सामंजस्य से काम को बांट कर रेस्क्यू में लग जाते हैं, केवल एक ड्रोन में रेस्क्यू वाले क्षेत्र को चिन्हीत करना होता हैं.
8. सोनू बताते हैं कि अभी वे ऐसे ड्रोन में काम कर रहे हैं जो एक उड़ान में 300 किलो मीटर तक जाने की क्षमता रखता हैं, वो भी 120-130 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से. यह ड्रोन फिलहाल 4-6 किलोग्राम तक पेलोड उठा कर एक से दूसरे जगह पहुंचा सकता हैं.
फिलहाल सोनू एंड टीम गवर्नमेंट के साथ मिलकर कुछ प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं. भविष्य में बहुत सारी प्लानिंग हैं. इसके अलावा स्टार्ट अप के लिए उन्हें बहुत कुछ करना हैं ताकि स्टूडेंट्स को रिसर्च में कम कठिनाईयां झेलनी पड़े.

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