इस मानसून सैकड़ों जिंदगियां लील गई आकाशीय बिजली, जानें क्या है राहत और बचाव का तरीका

नयी दिल्ली: मानसून में आकाश से सिर्फ बारिश ही नहीं होती मौत भी बरसती है. झारखंड में वज्रपात से हर सालों कई लोगों की मौत होतीहै.पिछले 48 घंटे में झारखंड में 33 लोगों की मौत वज्रपात के कारण हुई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले नौ साल मेंराज्य में वज्रपात की वजह से 1568लोगों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2019 1:26 PM

नयी दिल्ली: मानसून में आकाश से सिर्फ बारिश ही नहीं होती मौत भी बरसती है. झारखंड में वज्रपात से हर सालों कई लोगों की मौत होतीहै.पिछले 48 घंटे में झारखंड में 33 लोगों की मौत वज्रपात के कारण हुई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले नौ साल मेंराज्य में वज्रपात की वजह से 1568लोगों की मौत हो चुकी है. आज ही यह खबर आयी है किजामताड़ा में पांच युवक गांव के पास ही एक तालाब में स्नान कर रहे थे तभी मूसलाधार बारिश होने लगी. बारिश से बचने के लिए पांचों एक पेड़ की ओट लेकर खड़े हो गये. इसी दौरान बिजली गिरने से पांचों गंभीर रूप से घायल हो गये और अस्पताल में इन्होंने दम तोड़ दिया. अकसर लोग बारिश से बचने के लिए पेड़ के नीचे खड़े हो जाते हैं, लेकिन पेड़ के नीचे खड़े होने से वज्रपात के कारण मौत की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि वज्रपात से कैसे बचें.

हैरान करते हैं मौत के आंकड़े

पड़ोसी राज्य बिहार में भी पिछले 48 घंटे में तकरीबन 40 लोगों की मौत हो चुकी है. 9 लोगों की मौत तो 23 जुलाई को हो गयी. गौरतलब है कि इनमें से अधिकांश मौतें खेत में काम कर रहे मजदूरों, किसी पेड़ की ओट लेकर खड़े लोगों और खुले आसमान के नीचे खड़े लोगों की हुई है. एक और आंकड़ा यूपी से भी आया है जहां पिछले एक महीने में तकरीबन 167 लोगों की मौत वज्रपात से हुई है.

कैसे बनती है आकाशीय बिजली

मानसून के समय आकाश में घनात्मक और ऋणात्मक श्रेणी के बादल उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं. जब दोनों आपस में टकराते हैं तो आकाशीय बिजली का निर्माण होता है. चूंकि इस एनर्जी को आकाश में कोई कंडक्टर नहीं मिल पाता इसलिए ये धरती की ओर प्रवाहित होता है. जमीन में बिजली चालित उपकरण, उंचाई वाले पेड़, बिजली के खंभे, टॉवर और धातु के उपकरण इसके लिए कंडक्टर का काम करते हैं जिसकी वजह से इसके आसपास रहने वाले लोगों की मौत हो सकती है, शारीरिक अपंगता, मानसिक दिव्यांगता भी हो सकती है.

जागरूकता से बच सकती है जिंदगी

मानसून में भारी बारिश के दौरान वज्रपात से होती मौतें दुखद है. जाहिर है कि वज्रपात की घटना को रोका नहीं जा सकता क्योंकि प्राकृतिक घटनाओं पर किसी का नियंत्रण नहीं होता. तो फिर सवाल ये है कि इन मौतों को रोकने का उपाय क्या है. किन तरीकों को अपनाकर वज्रपात से होने वाली सैकड़ों मौतों को रोका जा सकता है. बता दें कि कुछ सावधानियां बरत कर लोग इससे बच सकते हैं.

आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जागरूकता के तहत सुझाये गये उपायों पर अमल करके लोग अपनी बहुमूल्य जिंदगी की रक्षा कर सकते हैं…..

  • जब बारिश हो रही हो तो घर से बाहर निकलने से बचें. बिजली चमक रही हो और गर्जना हो रही हो तो किसी भी तरह के इलेक्टॉनिक सामान (टेलीविजन, मोबाइल फोन, रेडियो, हेडफोन) इत्यादि का इस्तेमाल कतई ना करें.
  • बारिश के दौरान यदि आप वाहन चला रहे हैं, चाहे वो चार पहिया हो या दो पहिया. फौरन गाड़ी रोककर किसी सुरक्षित स्थान पर चले जायें. ऐसा इसलिये क्योंकि चलते हुये वाहन से निकलती एनर्जी आकाशीय बिजली के लिये कंडक्टर का काम करेगी.
  • अगर आप बारिश के दौरान खेत में या फिर किसी भी खुली जगह पर काम कर रहें हों तो फौरन किसी घर, शेड या घने और कम ऊंचाई वाले पेड़ों के नीचे चले जायें. लेकिन किसी ऊंचे पेड़, खुली जगह या फिर ऊंचे खंभों से दूर रहें. अगर आप भीगें हुये हैं तो पैरों को जमीन अथवा मिट्टी के सीधे संपर्क से बचायें. इसके लिये आप, पैरों के नीचे सूखी लकड़ी, पत्ता या भूसा इत्यादि रख सकते हैं.
  • ऊंचे पेड़, दलदली जमीन और जलस्त्रोतों से दुर रहें. किसी भी धातु वाले कृषि यंत्र,डंडा, छाता इत्यादि को खुद से दूर कर लें. अगर आप किसी सुरक्षित स्थान पर ना जा पायें तो जहां हैं वहीं बैठ जाएं और दोनों हाथों का घुटनों के चारों ओर घेरा बना लें. सर को नीचे झुका लें.
  • किसी भी हालत में जमीन पर लेटे नहीं. घरों में कपड़ा सुखाने के लिये कभी भी धातु के तार का उपयोग ना करें. बिजली चालित उपकरणों को बंद कर दें. इन उपायों पर अमल करके वज्रपात की घटना से बचा जा सकता है.

Next Article

Exit mobile version