19 सालों के सफर के बाद अलविदा लेनिन हॉल ! अब नयी विधानसभा में मिलेंगे माननीय
रांची :नवोदित राज्य झारखंड के उदय के बाद 21 नवंबर 2000 को विधानसभा की पहली बैठक हुई. इसी के साथ राज्य में संसदीय व्यवस्था की शुरुआत हुई. उसी दिन विधानसभा के पहले स्पीकर इंदर सिंह नामधारी ने अपने संबोधन में कहा था : इस कालखंड में प्रकृति के अनुपम उपहार झारखंड के रूप में हमें […]
रांची :नवोदित राज्य झारखंड के उदय के बाद 21 नवंबर 2000 को विधानसभा की पहली बैठक हुई. इसी के साथ राज्य में संसदीय व्यवस्था की शुरुआत हुई. उसी दिन विधानसभा के पहले स्पीकर इंदर सिंह नामधारी ने अपने संबोधन में कहा था : इस कालखंड में प्रकृति के अनुपम उपहार झारखंड के रूप में हमें जो राज्य मिला है, उसे इंद्रप्रस्थ बनाना है़ इसी सपने के साथ एचइसी के रसियन हॉस्टल स्थित लेनिन हॉल से विधानसभा ने अपना सफर शुरू किया.
19 सालों तक कई उतार-चढ़ावों के बीच यह सफर जारी रहा. 26 जुलाई 2019 को (मॉनसून सत्र के अंतिम दिन) बारिश की फुहारों के साथ ही लेनिन हॉल अब यादों का हिस्सा बन गया़ यहां अंतिम बार माननीय जुटे और फिर मिलने के वादे के साथ एक-दूसरे से जुदा हुए. इसी सितंबर में नये विधानसभा भवन में अगली बैठक संभावित है. जहां राज्य के विकास की रूपरेखा बनेगी.
बीते 19 सालों में जब भी िवधानसभा की कार्यवाही चली, िबरसा चौक, एचइसी, राजपथ के आसपास रहनेवाले लोग एक तरह से बंधक बन जाते थे. कारण था सत्र के दौरान िबरसा चौक िस्थत गेट को बंद कर िदया जाता था. इस गेट के बंद होने की वजह से आसपास के लोगों को यहां से आने-जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी.
कई बार तो लोगों व स्कूली बच्चों की परेशानियों को देखते हुए ट्रेनें रोकी गयीं, तब लोग ट्रैक पार कर अपने गंतव्य की आेर गये. रुकी ट्रेन के नीचे से पार होते भी लोग कैमरे में कैद हुए. अब नया िवधानसभा भवन बन जाने के बाद वर्षों पुरानी परेशानी का अंत हो जायेगा. बिरसा चौक के गेट को अब बंद करने की नौबत नहीं आयेगी.
प्रकरण जो हमेशा याद रखे जायेंगे
- मुख्यमंत्री बनने के लिए एक स्पीकर ने बिछायी थी राजनीतिक बिसात
- तख्ता पलट के बाद एक निर्दलीय विधायक (मधु कोड़ा)का सीएम बनना भी याद रहेगा
- दलों की निष्ठा टूटी और एक दिन में ही विधायकों को दल बदलते भी देखा
- मुख्यमंत्री-मंत्री के रूप मेें सदस्य को जेल जाते देखा
- राज्यसभा चुनाव में अपनों पर दूसरों को भारी पड़ने के खेल का गवाह बना
- वर्तमान को छोड़, तो पिछले तीन विधानसभा में किसी सीएम को कार्यकाल पूरा करते नहीं देखा
- मर्यादाएं भी टूटी़ं, स्पीकर पर कुर्सी-जूते भी चले और विधायक सस्पेंड हुए
- साढ़े तीन वर्ष तक छह विधायकों पर चला दल-बदल का मामला
मील का पत्थर
- स्पीकर के कहने पर विधायक ने लिया था इस्तीफा वापस
- ऐसा भी विधायक भी देखा, जिसे कोई राज्यसभा चुनाव नहीं तोड़ सका
- ऐसे विधायक भी आये, जिन्होंने प्रतिपक्ष की आवाज को राजनीतिक कर्म माना
- विपक्ष द्वारा बजट के कटौती प्रस्ताव को वापस लेने पर सौहार्दपूर्ण माहौल बना
पुराने से नयेविधानसभा भवन का सफर
लेनिन हॉल की यादें
465 बैठकें अब तक हुई
316 कुल विधेयक पारित हुए
पहला विधेयक जो पारित हुआ
19 मार्च 2001 : झारखंड विनियोग विधेयक- 2001
अंतिम विधेयक जो पारित हुआ
25 जुलाई 2019 : झारखंड विवि संशोधन विधेयक
नये विधानसभा भवन की खास बातें
- 57,220 वर्गमीटर में फैला होगा नया परिसर
- 150 विधायकों के बैठने की होगी व्यवस्था
- 365 करोड़ की लागत से बन रहा नया भवन
- 03 मंजिला होगा नया विधानसभा
- 02 ब्लॉक होंगे मुख्य हॉल के अगल-बगल
- 12.06.15 को नये विधानसभा भवन का शिलान्यास