रांची : एक ही दिन में बंद हो गये 29 इंडक्शन प्लांट

रांची : एक ही राज्य में बिजली दरों की अलग-अलग व्यवस्था की मार उद्यमियों को झेलनी पड़ी. इसी का नतीजा है कि एक अगस्त से राज्य के 29 उद्योगों में ताला लग गया. इनमें रामगढ़ की पांच और कोल्हान प्रमंडल की 23 और रांची की एक कंपनी शामिल हैं. अब इन उद्योगों में कार्यरत मजदूरोंको […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2019 9:48 AM
रांची : एक ही राज्य में बिजली दरों की अलग-अलग व्यवस्था की मार उद्यमियों को झेलनी पड़ी. इसी का नतीजा है कि एक अगस्त से राज्य के 29 उद्योगों में ताला लग गया. इनमें रामगढ़ की पांच और कोल्हान प्रमंडल की 23 और रांची की एक कंपनी शामिल हैं. अब इन उद्योगों में कार्यरत मजदूरोंको भविष्य की चिंता हो रही है. ये कंपनियां झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) से बिजली ले रही थीं.
बताया गया कि बिजली दर में हुई बढ़ोतरी के कारण इंडक्शन फर्नेस चलाने वाले सभी उद्यमियों को प्रतिमाह लगभग 35 लाख रुपये का नुकसान हो रहा था. ऐसे में अधिकतर कंपनी मालिकों ने अपने गेट पर नोटिस चिपका कर एक अगस्त से कंपनी बंद करने की घोषणा कर दी. एक इंडक्शन फर्नेस में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से औसतन 500 मजदूर काम करते हैं. यानी लगभग 15 हजार लोग इस तालाबंदी से प्रभावित हो रहे हैं.
क्या है मामला
रामगढ़ स्थित वैष्णवी फेरो टेक स्टील प्लांट के मालिक व झारखंड स्टील फर्नेस एसोसिएशन रामगढ़ शाखा के अध्यक्ष राधेश्याम अग्रवाल ने बताया कि झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा जेबीवीएनएल के लिए इसी वर्ष टैरिफ का निर्धारण किया गया. इसमें पहले शत-प्रतिशत बिजली पर आधारित उद्योगों एचटीएसएस कैटगरी में आते थे, उन्हें हटाकर एचटीएस की एक ही कैटगरी बनायी गयी. इससे जो छूट पहले एचटीएसएस कैटगरी को मिलती थी, वह समाप्त हो गयी. एचटीएस कैटगरी की दर 5.50 रुपये प्रति यूनिट निर्धारित की गयी है. जो पूर्व की दर तीन रुपये के करीब से लगभग दोगुनी है.
जबकि, झारखंड में डीवीसी की बिजली दर 2.95 रुपये प्रति यूनिट ही है. रामगढ़ में ही डीवीसी से बिजली लेनेवाला का उत्पाद सस्ता पड़ रहा है, जबकि जेबीवीएनएल से बिजली लेनेवालों को प्रति टन 2500 रुपये की लागत पड़ रही है. यानी एक दिन में 50 टन इंगोट और बिलेट के उत्पादन करने पर 12.5 लाख का अतिरिक्त भार पड़ रहा है. बिजली दर की इस असमानता के कारण जेबीएनएल से संचालित हो रहे स्टील प्लांट पूरी तरीके से संकट में आ गये हैं.
इस असमानता को दूर करने और एक सरल उपाय निकालने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास से झारखंड स्टील फर्नेस एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने बात की थी. जिसमें उद्योगों को सब्सिडी देनी थी, लेकिन अब तक इस पर फैसला नहीं लिया जा सका. इस कारण विवश होकर स्टील फर्नेंस के उद्योगों को उत्पादन बंद करना पड़ा. उन्होंने कहा कि आखिर एक राज्य में बिजली की दो अलग-अलग दरें क्यों हैं? डीवीसी में बिजली दर प्रति यूनिट 2.95 रुपये है, जबकि जेबीवीएनएलग की दर 5.50 रुपये प्रति यूनिट है. यह डीवीसी से 2.55 रुपये प्रति यूनिट ज्यादा है.
ये कंपनियां हो गयी बंद
रामगढ़ की छह कंपनियां : वैष्णवी फेरो टेक, ग्लोब स्टील एंड एलॉय, चिंतुपर्णी स्टील प्रालि, मदुरा स्टील, राधा कास्टिंग प्रालि और नानक फेरो एलॉय. जमशेदपुर व सरायकेला-खरसावां की 29 कंपनियां : स्थित हरिओम स्मेल्टर, गजानन फेरो, स्टैन कमोडिटी, श्यामलाल आयरन प्रालि, मेकर कॉस्टिंग, दादीशाह मेटल्स प्रालि, कामसा स्टील, केवाइएस स्टील, हिमाद्री स्टील, एसजी मल्टी कास्ट, नरेडी स्टील, जगदंबा मेटल्स, शंकर फेरो एलॉय, लॉर्ड बालाजी, गलैक्सी स्टील, वनांचल स्टील, ओम मेटल्स, गुलमोहर स्टील, पसारी कास्टिंग प्रालि. रांची की एक कंपनी टीएनएटी मेटल्स.
सब्सिडी पर सरकार ले सकती निर्णय है : आयोग
झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने कहा कि सब्सिडी देने का निर्णय सरकार ले सकती है. सरकार घरेलू उपभोक्ताओं को सब्सिडी दे रही है. जहां तक डीवीसी की दर कम होने की बात है तो रामगढ़ के उपभोक्ता डीवीसी से भी बिजली ले सकते हैं.

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