रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि देश में एक विधान, एक निशान और एक प्रधान की मांग जो हम सालों से करते आये हैं, उसे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने पूरा कर दिखाया है. इस निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को कोटि-कोटि धन्यवाद. स्व श्यामा प्रसाद मुखर्जी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह ने सच्ची श्रद्धांजली देते हुए उनके सपनों को पूरा करने का काम किया है.
मुख्यमंत्री जम्मू कश्मीर पर केंद्र सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए कहते हैं कि धारा 370 ये कोई आज का मुद्दा नहीं है. पहले जनसंघ और बाद में भाजपा का यह अहम मुद्दा रहा है. भाजपा के हर घोषणा पत्र में धारा 370 और आर्टिकल 35ए को समाप्त करने का संकल्प दोहराया गया था.
उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की ऐतिहासिक भूल थी, जिसे आज उनके वरिष्ठ नेता भी स्वीकार कर रहे हैं. संविधान निर्माताओं में शामिल डॉ भीमराव आंबेडकर भी धारा 370 के पक्ष में नहीं थे. स्वयं पंडित जवाहर लाल नेहरु ने कहा था कि धारा 370 खुद ब खुद घिसते-घिसते समाप्त हो जायेगी. धारा 370 के समाप्त होने से जम्मू-कश्मीर के विकास का मार्ग खुल गया है. पहले ऐसे प्रावधान किये गये थे, जिस कारण जम्मू-कश्मीर का विकास संभव नहीं हो पाया.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम है कि जम्मू-कश्मीर के हित में इतना बड़ा निर्णय संभव हो पाया है. 370 के समाप्त होने के बाद उन लोगों की एक बड़ी जीत है, जिन्हें बरसों पहले कश्मीर छोड़कर देश के दूसरे हिस्सों में बसना पड़ा और अपने ही देश में शरणार्थी बन गये.
उन्होंने कहा कि आर्टिकल 35ए के अनुसार एक महिला के दूसरे प्रदेश के पुरुष से शादी करने के बाद उनका संपत्ति का अधिकारी समाप्त हो जाता था. उसके बच्चों को भी जायदाद में हक नहीं मिलता है. यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था. कश्मीरी महिला अगर पाकिस्तानी से शादी करती थी, तो उसके पति को नागरिकता मिल जाती थी, लेकिन भारतीय को नहीं मिलती थी. अब ऐसा नहीं हो सकेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कश्मीर में धारा 370 के कारण देश के अन्य लोगों द्वारा यहां की जमीन की खरीद बिक्री संभव नहीं था, जिससे यहां न तो अच्छे अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, मॉल, उद्योग आदि खुल पाएं और न ही यहां के जमीन मालिक को जमीन की सही कीमत मिली. उद्योग-धंधे नहीं होने से यहां बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या के रूप में उभरी है.
उन्होंने कहा कि धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में अलग झंडा और अलग संविधान चलता था. पहले कश्मीर के लोगों की दोहरी नागरिकता थी, मतदान का अधिकार केवल स्थायी नागरिकों को ही था. अब देश का कोई भी नागरिक यहां वोटर बन सकेगा. कश्मीर में बसे शरणार्थी अब तक सरकारी नौकरी नहीं कर सकते थे, लेकिन अब यह संभव हो पायेगा. बेरोजगारी के कारण ही यहां के भोले-भाले निवासियों को आतंकियों द्वारा बहला-फुसलाकर पत्थरबाज बना दिया जा रहा था. कई लोगों को बंदूक थमा दी गयी.
उन्होंने कहा कि धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में आइपीसी, सूचना का अधिकार, सीएजी, शिक्षा का अधिकार, कालाधन विरोधी कानून, मनी लांड्रिंग विरोधी कानून, भ्रष्टाचार विरोधी कानून आदि लागू नहीं होते थे. यहां न तो आरक्षण मिलता था और न ही न्यूनतम वेतन का कानून लागू होता था. अब इनके साथ भारतीय संसद द्वारा पारित सारे कानून यहां भी लागू होंगे. पहले यहां भारत का संविधान लागू नहीं होता था. अब पूरे देश में एक ही संविधान लागू होगा. पहले यहां सुप्रीम कोर्ट का भी कोई आदेश सीधे लागू नहीं होता था, उसे विधानसभा में अलग से पास कराना पड़ता था. अब इसमें कोई व्यवधान नहीं होगा.