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रांची : पहली बार थल सेना के लिए एचइसी ने बनाया बम शेल, अब तक के सभी निर्माण रहे हैं सफल

रांची : भारी अभियंत्रण निगम (एचइसी) ने पहली बार थल सेना के लिए बम शेल (बम का ऊपरी आवरण) बनाया है. एचइसी के अधिकारी ने बताया कि बम शेल बनाने का कार्यादेश आकांक्षा से मिला है. फिलहाल इसे सैंपल के रूप में बनाया गया है. इसे सेना के पास परीक्षण के लिए भेजा जायेगा. सब […]

रांची : भारी अभियंत्रण निगम (एचइसी) ने पहली बार थल सेना के लिए बम शेल (बम का ऊपरी आवरण) बनाया है. एचइसी के अधिकारी ने बताया कि बम शेल बनाने का कार्यादेश आकांक्षा से मिला है. फिलहाल इसे सैंपल के रूप में बनाया गया है. इसे सेना के पास परीक्षण के लिए भेजा जायेगा. सब कुछ ठीक रहा, तो एचइसी को सेना की ओर से बड़े पैमाने पर बम शेल बनाने का कार्यादेश मिल सकता है.
एचइसी के अधिकारी ने बताया कि बम शेल का सैंपल बनाने का कार्यादेश काफी जटिल था. इसमें जरा सी भी गलती होने पर पूरी मेहनत बेकार हो जाती है और आर्थिक हानि की आशंका रहती है. बम शेल की कंपोजिशन के साथ मोटाई और लंबाई की बारिकी से कास्टिंग व फोर्जिंग की गयी है. अगर इसमें गलती होती है, तो बम शेल से छोड़ा गया गोला टारगेट को हिट नहीं करेगा और दूसरी दिशा में चला जायेगा, जिससे नुकसान भी हो सकता है. इस बम शेल को बनाने के लिए विशेष टीम गठित की गयी थी.
अब तक के सभी निर्माण सफल रहे हैं एचइसी के
गौरतलब है कि एचइसी ने भारतीय थल सेना के लिए फोल्डिंग लोडिंग रैंप का निर्माण का भी कार्यादेश मिला है. रैंप को बेहतर बताये जाने के बाद एचइसी को 100 पीस रैंप बनाने का कार्यादेश मिलेगा. वहीं, एचइसी ने अब तक थल सेना, जल सेना और वायु सेला के लिए जो भी उपकरण का निर्माण किया है, सभी सफल रहे हैं.
एचइसी ने वर्ष 1971 के युद्ध में इंडियन माउंटेन टैंक, 105 एमएम गन बैरल, टी-72 टैंक की कास्टिंग, 120एमएम गन का हीट ट्रीटमेंट और मशीनिंग, आइएनएस राणा के लिए गियर सिस्टम का निर्माण, युद्धपोत के लिए आर्मर प्लेट का निर्माण, आधुनिक रडार का निर्माण, परमाणु पनडुब्बी के लिए महत्वपूर्ण उपकरण बनाने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यों को जिम्मेदारी के साथ निभाया है. चंद्रयान जीएसएलवी के लिए लांच पैड बनाने में भी एचइसी की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

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