झारखंड के इन लोगों के लिए भगवान थीं सुषमा स्वराज

रांची : सुषमा स्वराज ने कई बार झारखंड का दौरा किया. उनके दौरों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश के नेता और कार्यकर्ता अपनी तरह से याद करते हैं, लेकिन झारखंड के कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो सुषमा स्वराज को भगवान मानने लगे थे. जी हां, विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 7, 2019 12:17 PM

रांची : सुषमा स्वराज ने कई बार झारखंड का दौरा किया. उनके दौरों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश के नेता और कार्यकर्ता अपनी तरह से याद करते हैं, लेकिन झारखंड के कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो सुषमा स्वराज को भगवान मानने लगे थे. जी हां, विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज ने झारखंड के गिरिडीह और हजारीबाग के 41 लोगों के लिए जो किया, उसे ये लोग कभी नहीं भूल पायेंगे. धोखाधड़ी के शिकार हुए इन सभी लोगों ने सुषमा स्वराज को बाइज्जत उनके घर लाने में मदद की थी.

ये लोग बताते हैं कि सऊदी अरब की राजधानी रियाद में वे नरक की जिंदगी गुजार रहे थे. दो वक्त का भोजन तक नसीब नहीं होता था. हालांकि, यहां से बहुत प्रलोभन देकर ले जाया गया था. सब खुशी-खुशी सऊदी अरब में काम करने लगे थे. लेकिन, वहां जाने के बाद आठ महीने तक मजदूरी नहीं मिली. सब अपने-अपने परिवार से मिलने को तरस रहे थे. उनसे बात करना चाहते थे, लेकिन मजबूर थे. किसी तरह उन्होंने अपनी पीड़ा तब की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तक पहुंचायी.

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जैसे ही सुषमा स्वराज को इसके बारे में जानकारी मिली, उन्होंने इन लोगों को इस कैद से मुक्त कराने का अभियान शुरू कर दिया. दूतावास को निर्देशित किया और दूतावास के प्रयासों से सऊदी अरब की सरकार ने अरबियन टीम्स कांट्रैक्टिंग इस्टैब्लिसमेंट (एटीसी) पर दबाव बनाया. इसके बाद सभी लोग सुरक्षित अपने घर पहुंच सके. गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग के इन मजदूरों ने लौटने के बाद बताया कि सभी एलएंडटी कंपनी में नौकरी की आस लिये सऊदी अरब गये थे. वहां एजेंट ने उनसे धोखाधड़ी की और सभी 41 लोग बंधुआ मजदूर बनकर रह गये.

मजदूरों ने बताया कि वर्ष 2016 में ये लोग रियाद गये थे. वहां जाने के बाद आठ महीने तक वेतन नहीं मिला. भरपेट भोजन तक नसीब नहीं होता था. 41 मजदूरों को एक कमरे में रखा गया था. ये लोग गिरिडीह जिले के बगोदर, पीरटांड़ एवं बोकारो जिला के गोमिया व हजारीबाग जिला के विष्णुगढ़ के रहने वाले थे. सभी 6 जुलाई, 2016 को रियाद गये थे. वहां पहुंचने पर पता चला कि वे धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं. उन्हें एलएंटी नहीं, बल्कि अरबियन टीम्स कांट्रैक्टिंग इस्टेब्लिसमेंट में काम पर लगाया गया है. कुछ महीने तक वेतन मिला, लेकिन बाद में कंपनी ने पैसे देने बंद कर दिये. यदि सुषमा स्वराज ने पहल न की होती, तो सब वहीं मर-खप गये होते.

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