शहादत दिवस आज: निर्मल दा बन चुके हैं क्रांति का पर्याय
उलियान के शहीद मैदान में बड़ी संख्या में जुटेंगे हजारों समर्थक रांची/जमशेदपुर : गरीबों के मसीहा के रूप में जाने जाने वाले निर्मल महताे एक क्रांति का पर्याय बन चुके हैं. आठ अगस्त काे उनके शहादत दिवस पर हर साल उलियान स्थित शहीद मैदान में निर्मल क्रांति दिवस पर बिहार, बंगाल, ओड़िशा व झारखंड से […]
उलियान के शहीद मैदान में बड़ी संख्या में जुटेंगे हजारों समर्थक
रांची/जमशेदपुर : गरीबों के मसीहा के रूप में जाने जाने वाले निर्मल महताे एक क्रांति का पर्याय बन चुके हैं. आठ अगस्त काे उनके शहादत दिवस पर हर साल उलियान स्थित शहीद मैदान में निर्मल क्रांति दिवस पर बिहार, बंगाल, ओड़िशा व झारखंड से हजाराें लाेग जुटते हैं.
आठ अगस्त 1987 काे बिष्टुपुर स्थित चमरिया गेस्ट हाउस के बाहर निर्मल महताे की गाेली मार कर हत्या कर दी गयी थी. गुवा गाेलीकांड के बाद निर्मल महताे ने सरकार के खिलाफ अड़ियल रुख अख्तियार करते हुए कहा कि जब तक आदिवासी-मूलवासियाें की सरकार नहीं बनेगी, अत्याचार-जुल्म हाेते रहेंगे.
निर्मल की हत्या से उपजी लहर ने अलग राज्य का मार्ग प्रशस्त किया : शैलेंद्र
झारखंड आंदाेलनकारी निर्मल महताे की हत्या से उपजी लहर ने झारखंडी जनता एवं छात्र युवा शक्ति काे ऐसा आंदोलित किया कि तब राजीव गांधी सरकार को बाध्य हाेकर अंतत: झारखंड आंदाेलनकारियाें के साथ वार्ता के लिए तैयार हाेना पड़ा.
वार्ताआें के कई दाैर के बाद केंद्रीय मंत्री बूटा सिंह ने 23 अगस्त 1989 को झारखंड विषयक समिति का गठन किया. 30 मार्च 1992 काे केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री सह गृह मंत्री एमएम जैकब ने झारखंड विधेयक समिति की रिपाेर्ट संसद के दाेनाें सदनाें में पेश की. बिहार विधानसभा के आम चुनाव में राजद आैर सीपीएम काे छाेड़ कर कांग्रेस सहित समता पार्टी, सीपीआइ ने अपने-अपने चुनावी घाेषणा पत्र में झारखंड राज्य का समर्थन किया. नाै अगस्त 1995 काे झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद का गठन किया गया.
1996, 1998 आैर 1999 लाेकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्ववाली एनडीए सरकार ने वनांचल राज्य बनाने का वादा किया. अंतत: निर्मल महताे की शहादत रंग लायी आैर महान बिरसा मुंडा के उलगुलान आबुआ दिशुम आबुआ राज की आवाज 14 नवंबर 2000 की आधी रात को झारखंड राज्य के गठन में प्रतिष्ठित हुई. झारखंड आंदाेलन ने अपने लक्ष्य प्राप्ति की राह में राज्य गठन के रूप में सिर्फ बिहार राज्य से एक छाेटी उपलब्धि हासिल की है. झारखंड राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र में जाे अभी तक पश्चिम बंगाल, आेड़िशा आैर छत्तीसगढ़ राज्याें के कब्जे में है, उनमें झारखंडी संस्कृति-समुदायाें की बाहुलता है. झारखंड राज्य बनने के बाद अभी भी आंतरिक उपनिवेशावाद झेल रहा है.
झारखंडी अस्मिता पर झारखंडी जनता की मुक्ति की आकांक्षा की अभिव्यक्ति थी, अभी झारखंड पर झारखंडी जनता का असरदार नियंत्रण कायम करने के लिए उन्हें लंबे संघर्ष से गुजरना हाेगा. शहीद अनेक हाेते हैं, किंतु उसके परिणाम स्वरूप उद्देश्य की प्राप्ति की दिशा में आंदाेलन कितनी दूर तक आगे जाता है, यह उस शहीद के गुणात्मक मूल्य का बाेध हाेता है. इस अर्थ में निर्मल महताे की शहादत झारखंड के इतिहास में अद्वितीय हाेगी. झारखंड आंदाेलन का निर्णायक माेड़ आठ अगस्त 1987 था.
इस दिन 11:45 बजे दिन में बिष्टुपुर चमरिया गेस्ट हाउस के बाद बड़ी साजिश के साथ निर्मल महताे काे हमेशा के लिए नींद में सुला दिया गया. निर्मल महताे की हत्या ने अब तक अलग-अलग दिशा में चल रहे अलग राज्य के आंदाेलन काे अपनी आेर खींच कर एक प्लेटफार्म प्रदान किया. राष्ट्रीय दलाें में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आगरा में संपन्न हुई.
(लेखक झारखंड आंदाेलनकारी सह जमशेदपुर के पूर्व सांसद भी रहे हैं)