रांची : आदिवासी ही प्रकृति के रक्षक हैं : वंदना

रांची/मेसरा : आदिवासी युवा उलगुलान संगठन के तत्वावधान में गुरुवार को विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर खेलगांव मोड़ पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि झारखंडी भाषा साहित्य अखड़ा के संस्थापक व साहित्यकार वंदना टेटे ने कहा कि आदिवासी ही प्रकृति के रक्षक हैं.संस्कृति ही आदिवासियों की पहचान है. जल, जंगल व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2019 9:30 AM
रांची/मेसरा : आदिवासी युवा उलगुलान संगठन के तत्वावधान में गुरुवार को विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर खेलगांव मोड़ पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि झारखंडी भाषा साहित्य अखड़ा के संस्थापक व साहित्यकार वंदना टेटे ने कहा कि आदिवासी ही प्रकृति के रक्षक हैं.संस्कृति ही आदिवासियों की पहचान है. जल, जंगल व जमीन की रक्षा करें. पुरखों ने समृद्ध संस्कृति दी है.
वैचारिक रूप से मजबूत बनें. सिर्फ नाचने-गाने के लिए आदिवासी दिवस नहीं है. यह सचेत होने का समय है. भाषा जब तक जिंदा है, तब तक आदिवासीयत है.विशिष्ट अतिथि आनंद खलखो ने कहा कि ताकतवर लोग आदिवासी की जमीन लूटने में लगें है. भाषा व संस्कृति को गैर जनजातीय विवाह के माध्यम से समाप्त किया जा रहा है. इसे बचाने की आवश्यकता है.कार्यक्रम में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किया गया. मौके पर पार्षद मोनिका खलखो,आनंद खलखो, अध्यक्ष प्रमोद टोप्पो, उपाध्यक्ष प्रदीप खलखो, अंजली लकड़ा, मंजू सपवार, पवन मुंडा आदि मौजूद थे.
पारंपरिक गीत-नृत्य से कलाकारों ने मोहा मन
संगोष्ठी के बाद रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान मुंडारी, छऊ, खड़िया, पंचपरगनिया, उरांव, संताली, खोरठा, पइका, नागपुरी और हो नृत्य मंडली ने आकर्षक प्रस्तुति दी. कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से वहां मौजूद लोगों का मन मोह लिया.

Next Article

Exit mobile version