कस्तूरबा में एंबुलेंस, तो बालिका विद्यालय में लैब ऑन ह्विल
शिक्षा के क्षेत्र में चाईबासा में हो रहे कई अभिनव प्रयोग, दूसरों को भी कर रहा प्रेरित चाईबासा से लौटकर मनोज सिंह शिक्षा के दृष्टिकोण से पिछड़े चाईबासा जिले में बच्चों में शैक्षणिक रुचि बढ़ाने के लिए कई अभिनव प्रयोग हो रहे हैं. बच्चों के साथ स्कूल के आसपास के गांवों को भी स्कूली शिक्षा […]
शिक्षा के क्षेत्र में चाईबासा में हो रहे कई अभिनव प्रयोग, दूसरों को भी कर रहा प्रेरित
चाईबासा से लौटकर मनोज सिंह
शिक्षा के दृष्टिकोण से पिछड़े चाईबासा जिले में बच्चों में शैक्षणिक रुचि बढ़ाने के लिए कई अभिनव प्रयोग हो रहे हैं. बच्चों के साथ स्कूल के आसपास के गांवों को भी स्कूली शिक्षा से जोड़ा जा रहा है. आंगनबाड़ी से लेकर प्लस टू तक एक ब्रिज (पुल) बनाकर बच्चों को जोड़ा जा रहा है.
इसी प्रयोग से जुड़ी कई कहानियों को समझने की कोशिश प्रभात खबर ने क्षेत्र में जाकर की. स्कूली छात्रों को लैब ऑन व्हिल की सुविधा मिल रही है. कभी गोलियों की आवाज से गूंजनेवाले इलाकों में कस्तूरबा विद्यालय खोलकर ड्रॉप आउट लड़कियों को शिक्षा दी जा रही है.
चाईबासा के टोंटो प्रखंड में कस्तूरबा विद्यालय चलता है. यहां जिम से लेकर एंबुलेंस तक की सुविधाएं हैं. अत्याधुनिक जिम बच्चियों को फिजिकली फिट बना रहा है, तो एंबुलेंस अचानक बीमार होने पर इलाज भी करा रहा है. स्कूल परिसर में ही किचन गार्डेन है. छात्राओं को वाटर फिल्टर से पानी मिलता है. बैंड डिस्प्ले में यहां की छात्राओं ने कई पुरस्कार जीते हैं. पूरे देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन करनेवाले कस्तूरबा विद्यालय के लिए एक लाख रुपये का सम्मान भी मिला है.
ब्लॉक ऑफिस में करायी जा रही तैयारी
तांतनगर ब्लॉक ऑफिस का परिसर अनोखा है. यहां तीन बजे के बाद स्कूली बच्चों की भीड़ लग जाती है. बीडीओ नागेंद्र तिवारी ने प्रशासन के सहयोग से लाइब्रेरी बनवायी है. रोज करीब 100 बच्चे ब्लॉक परिसर की लाइब्रेरी में आकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते हैं.
इसमें कई बच्चे नवोदय विद्यालयों में चुने गये हैं. श्री तिवारी बताते हैं कि जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) और अन्य लोगों के सहयोग से लाइब्रेरी की स्थापना की गयी है. प्रखंड परिसर के ही कई अधिकारी बच्चों को पढ़ाई भी कराते हैं.
स्कूल में ही आती है प्रयोगशाला
हाइस्कूल के छात्रों के लिए स्कूलों में ही प्रयोगशाला लायी जा रही है. लैब ऑन ह्विल नामक इस स्कीम से वैसे स्कूलों को फायदा हो रहा है, जहां के बच्चों को लैब की सुविधा नहीं मिलती थी. कई प्रखंडों के स्कूलों में तय तिथि को गाड़ी पहुंचती है. इसके साथ संबंधित संस्था के लोग विद्यार्थियों को विज्ञान और भूगोल के प्रयोग की जानकारी देते हैं.
संचालक बताते हैं कि सप्ताह में दो या तीन दिन एक-एक स्कूल को मिल जाता है. शिक्षा पदाधिकारी प्रदीप चौबे बताते हैं कि इससे स्थायी लैब की जरूरत कम पड़ रही है. कई स्कूलों में आसपास के रिटायर लोगों को शिक्षक के रूप में रखा गया है.
आकर्षक बनाया गया है आंगनबाड़ी केंद्र
झींकपानी ब्लॉक के ईचापुर का एक आनंगबाड़ी केंद्र विकसित किया गया है. जिसमें बच्चों के खाने के साथ-साथ पढ़ाई भी करायी जाती है. केंद्र को बच्चों के हिसाब से रंगा गया है. शौर्य मंडल और अंग्रेजी वर्णमाला की जानकारी दी गयी है. कई प्रकार के फलों का चित्र बनाये गये हैं.
कोल्हान आयुक्त विजय कुमार सिंह बताते हैं कि आंगनबाड़ी केंद्रों को आकर्षक तरीके से सजाने से बच्चों में स्कूल आने का आकर्षण पैदा होगा. उपायुक्त कहते हैं शिक्षा में प्रयोग कर एक प्रयास हो रहा है. देश भर से आये करीब 100 इंजीनियरों से बच्चों की काउंसलिंग भी करायी जा रही है.