बोले मुख्यमंत्री रघुवर दास, नक्सलवाद अंतिम पड़ाव पर तीन वर्ष न हटायें केंद्रीय बल

नयी दिल्ली/रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड में जो केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल उपलब्ध कराये गये हैं, वह लगातार झारखंड पुलिस के साथ मिल कर नक्सलियों से जूझ रहे हैं. झारखंड में नक्सलवाद अंतिम पड़ाव पर है. इस समय नक्सलियों पर सुरक्षा बलों द्वारा जो दबाव बन रहा है, उसके लिए आवश्यक है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 27, 2019 7:25 AM
नयी दिल्ली/रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड में जो केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल उपलब्ध कराये गये हैं, वह लगातार झारखंड पुलिस के साथ मिल कर नक्सलियों से जूझ रहे हैं. झारखंड में नक्सलवाद अंतिम पड़ाव पर है.
इस समय नक्सलियों पर सुरक्षा बलों द्वारा जो दबाव बन रहा है, उसके लिए आवश्यक है कि झारखंड से अगले दो-तीन सालों तक सैन्य बलों की कमी नहीं की जाये. श्री दास ने यह बातें सोमवार को नक्सल समस्या को लेकर नयी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बुलायी गयी बैठक में कही.
सीएम ने कहा कि वर्तमान में कुछ अर्द्धसैनिक बलों को अन्य राज्य में अस्थायी रूप से भेजा गया है. कुछ बलों को स्थायी रूप से भेजने का प्रस्ताव है.
झारखंड सरकार ने संगठनात्मक ढांचा को समाप्त करने के लिए क्लियर, होल्ड व डेवलप की नीति अपनायी है. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव को शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए लगभग 275 कंपनी अर्द्धसैनिक बलों की जरूरत होगी. सरकार केंद्रीय बलों के संयुक्त प्रयास से राज्य से नक्सलवाद को खत्म करने के लिए कटिबद्ध है. बैठक में मुख्य सचिव डॉ डीके तिवारी व डीजीपी कमल नयन चौबे भी मौजूद थे.
पिछले चार साल में नक्सल घटना में 60% कमी
वर्ष 2015-19 की कुल नक्सली घटनाओं की तुलना 2010-2014 से की जाये, तो पता चलेगा कि इसमें 60% तक की कमी आयी है. नक्सलियों द्वारा मारे गये नागरिकों की संख्या में एक तिहाई की कमी आई है.
मुठभेड़ में मारे गये नक्सलियों की संख्या दोगुनी
मुठभेड़ में मारे गये नक्सलियों की संख्या दोगुनी हो गयी है. 2015 से 2019 के बीच सरेंडर करनेवाले उग्रवादियों की संख्या दोगुनी हो गयी है. पुलिस द्वारा हथियार की बरामदगी में 33% की वृद्धि हुई है.
लोकसभा चुनाव में कोई नक्सली घटना नहीं
लोकसभा चुनाव में सुरक्षा बलों के प्रयास से झारखंड में पहली बार कोई नक्सली हिंसा नहीं हुई. चुनाव के दौरान चुनाव कार्यों में सुरक्षाबलों के संलग्न रहने के कारण नक्सल विरोधी अभियान में कमी आयी थी, उसने पिछले दो माह से गति पकड़ ली है.
पांच वर्ष में 22,865 किमी सड़क बनी : वर्ष 2001 से 2014 के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 22,248 किमी सड़क बन पायी थी. पिछले पांच वर्ष में 22,865 किमी सड़क बनायी गयी है. विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत दी जा रही राशि से उग्रवाद प्रभावित जिलों में काफी तेजी से आधारभूत संरचनाओं एवं विकास कार्यों का क्रियान्वयन किया जा रहा है.
झारखंड में एसआइबी गठित नक्सल समस्या को लेकर झारखंड में एसआइबी का गठन किया गया है. यह नक्सलियों के खिलाफ सूचना संकलित कर रहा है. इस इकाई के गठन से माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व के विरुद्ध कार्रवाई करना संभव हो पाया है.
2500 दारोगा की हुई बहाली झारखंड में दारोगा की कमी नक्सल अभियान के सुचारू संचालन में बाधा थी. ढाई दशक में मात्र 250 दारोगा की बहाली हो पायी थी. वर्तमान सरकार ने 2500 दारोगा की बहाली की है, जो अभी प्रशिक्षणरत हैं.
पुलिस बम निरोधी दस्तों की संख्या दोगुनी : बम निरोधी दस्तों की संख्या भी छह से 12 कर दी गयी है. इससे अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को बारूदी सुरंगों से होनेवाली क्षति की संभावना में कमी आयेगी.

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