खेल दिवस पर झारखंड के तीन दिग्गज खिलाड़ियों की अपील, सरकार खेल नीति बनाये समाज हमारा सम्मान करे
रांची : झारखंड राज्य बने 19 साल हो गये हैं, लेकिन अब तक राज्य में खेल नीति को लेकर गंभीरता से विचार नहीं किया जा सका है. इस कारण खिलाड़ियों को नौकरी नहीं मिल रही है. पहली बार 2007 में खेल नीति बनी, जिसमें सरकारी नौकरियों में दो फीसदी आरक्षण का प्रावधान था, लेकिन इसे […]
रांची : झारखंड राज्य बने 19 साल हो गये हैं, लेकिन अब तक राज्य में खेल नीति को लेकर गंभीरता से विचार नहीं किया जा सका है. इस कारण खिलाड़ियों को नौकरी नहीं मिल रही है. पहली बार 2007 में खेल नीति बनी, जिसमें सरकारी नौकरियों में दो फीसदी आरक्षण का प्रावधान था, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका.
खेल नीति लागू होने से खिलाड़ियों में सुरक्षा की भावना जागेगी और वे अंतरराष्ट्रीय फलक पर बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे. खेल दिवस के मौके पर उक्त बातें हॉकी के पूर्व ओलिंपियन सिलवानुस डुंगडुंग, अंतरराष्ट्रीय पावरलिफ्टर इंद्रजीत सिंह और तीरंदाजी की पूर्व ओलिंपियन रीना कुमारी ने कही. इन तीनों को बुधवार को प्रभात खबर ने विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था, जहां उन्होंने अपने अनुभव शेयर किये.
तीनों ने कहा कि झारखंड के पदक विजेताओं को कैश अवॉर्ड भी अन्य राज्यों की तुलना में कम मिलते हैं. इसे बढ़ाने की जरूरत है. खेल संघों में भी खिलाड़ियों को उचित प्रतिनिधित्व मिले. समाज भी खिलाड़ियों को सम्मान दे. विशेष रूप से लड़कियों को प्रोत्साहित करे. आज बेटियां ही खेलों में मान बढ़ा रही हैं.
सिलवानुस डुंगडुंग के सुझाव
गांवों में सुविधाएं उपलब्ध करायी जायें
झारखंड के गांवों में प्रतिभा की कमी नहीं है. यदि इन्हें बेहतर सुविधाएं मिले, तो यहां से अच्छे खिलाड़ी निकलेंगे. राज्य से अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकलें, इसके लिए उन्हें एस्ट्रोटर्फ उपलब्ध कराना होगा. खिलाड़ियों को विदेशी कोचों से प्रशिक्षण की सुविधा मिले, ताकि वे अत्याधुनिक तकनीक से अवगत हो सकें. सरकार खेल अकादमी की स्थापना करेे.
रीना कुमारी के सुझाव
ग्रास रूट से प्रशिक्षण दी जानी चाहिए
ग्रास रूट से खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. स्कूल स्तर पर प्रतिभावान खिलाड़ियों का चयन हो. इसके बाद उन्हें बेसिक ट्रेनिंग दी जाये. यूनिवर्सिटी लेवल पर खिलाड़ियों को हर सुविधा मिले. तीरंदाजी की बात की जाये, तो इसके इक्विपमेंट्स महंगे आते हैं. सिर्फ एक धनुष 2.50 लाख से ऊपर का आता है. सरकार तीरंदाजों को इक्विपमेंट्स उपलब्ध कराये.
अंतरराष्ट्रीय पावरलिफ्टर इंद्रजीत सिंह के सुझाव
हरियाणा और केरल का सिस्टम फॉलो हो
हमें हरियाणा और केरल के सिस्टम को फॉलो करने की जरूरत है. उन सिस्टम को स्टडी करने के बाद उन्हें झारखंड में भी लागू करने की जरूरत है.
सरकार की ओर से खिलाड़ियों को स्कॉलरशिप दी जाती है, लेकिन यहां के कई खिलाड़ियों को इसकी जानकारी भी नहीं है. यहां के खिलाड़ियों को जो कैश अवॉर्ड दिये जाते हैं, वह अन्य राज्यों (हरियाणा, ओड़िशा, केरल) की तुलना में काफी कम हैं.