रांची : केस का अनुसंधान करने से सीबीआइ ने किया इनकार
रेलवे के फर्जी टिकट घोटाले का मामला रांची : रेलवे के फर्जी टिकट घोटाला मामले में जगन्नाथपुर थाना में दर्ज केस का अनुसंधान करने से सीबीआइ ने इनकार कर दिया है. सीबीआइ के अधिकारियों ने पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों को बताया कि सीबीआइ पर पहले से चिटफंड घोटाले से संबंधित केस के अनुसंधान का बोझ […]
रेलवे के फर्जी टिकट घोटाले का मामला
रांची : रेलवे के फर्जी टिकट घोटाला मामले में जगन्नाथपुर थाना में दर्ज केस का अनुसंधान करने से सीबीआइ ने इनकार कर दिया है. सीबीआइ के अधिकारियों ने पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों को बताया कि सीबीआइ पर पहले से चिटफंड घोटाले से संबंधित केस के अनुसंधान का बोझ है. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित कई केस का अनुसंधान किया जा रहा है. इसलिए सीबीआइ जगन्नाथपुर थाना में दर्ज केस का अनुसंधान करने की इच्छुक नहीं है.
जानकारी के अनुसार इस मामले में 28 मई 2014 को जगन्नाथपुर थाना में केस दर्ज हुआ था. केस में पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव पर सरकार ने केस का अनुसंधान 19 सितंबर 2018 को सीबीआइ से कराने की अनुशंसा की थी. इससे संबंधित प्रस्ताव भी सरकार ने सीबीआइ डायरेक्टर को भेजा था.
क्या था प्राथमिकी में आरोप : केस संदिग्ध शिशुपाल महतो, दीपक कुमार बड़ाइक व शशिकांत भगत के खिलाफ खिलाफ दर्ज हुआ था. केस में आरोप था कि गुमला व सिमडेगा पोस्ट ऑफिस, बीआइटी मेसरा, रजरप्पा, रांची जीपीओ व खूंटी पोस्ट ऑफिस से यात्रियों के लिए टिकट बुकिंग सिस्टम के जरिये बड़े पैमाने पर फर्जी रिजर्वेशन जारी हुआ है. बाद में उसे बिना किसी कारण के रद्द कर दिया गया. इस टिकट में यात्री का नाम व पता नहीं था. तत्काल टिकट बिना सेल्फ अटेस्टेड आइडी प्रूफ के यात्रियों को जारी कर दिया गया था. गुमला पीआरएस में 2009 से लेकर जून 2013 के बीच बड़े पैमाने पर टिकट रद्द किया गया.
लेकिन इसकी जानकारी साउथ इस्टर्न रेलवे के एकाउंट अफसर को नहीं दी गयी. इस कारण रेलवे को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान हुआ. गुमला पोस्ट ऑफिस में हुए फर्जीवाड़े में शिशुपाल महतो, दीपक कुमार बड़ाइक व शशिकांत भगत की संलिप्तता की बात सामने आयी थी. लेकिन वे पोस्टल विभाग के कर्मी नहीं थे. हालांकि इन लोगों द्वारा लगातार फर्जी रिजर्वेशन टिकट रद्द किया गया था.