मॉनसून 2019 : अगस्त और सितंबर में हुई सामान्य से अधिक बारिश, वापसी की राह पर मॉनसून!
रांची : अगस्त की तरह सितंबर में भी इस वर्ष मॉनसून के दौरान अच्छी-खासी बारिश हुई. पहले पखवाड़े की बात करें, तो ऐसा कोई दिन नहीं गया, जब भारत में सामान्य से अधिक बारिश न हुई हो. हालांकि, अगस्त में रिकॉर्ड वर्षा हुई, लेकिन दो दिन (एक और 12 अगस्त, 2019) ऐसे रहे, जब सामान्य […]
रांची : अगस्त की तरह सितंबर में भी इस वर्ष मॉनसून के दौरान अच्छी-खासी बारिश हुई. पहले पखवाड़े की बात करें, तो ऐसा कोई दिन नहीं गया, जब भारत में सामान्य से अधिक बारिश न हुई हो. हालांकि, अगस्त में रिकॉर्ड वर्षा हुई, लेकिन दो दिन (एक और 12 अगस्त, 2019) ऐसे रहे, जब सामान्य से कम वर्षा हुई. आमतौर पर जुलाई और अगस्त दो ही महीने ऐसे हैं, जब झमाझम बारिश होती है. सितंबर में दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून की वापसी शुरू हो जाती है. इसलिए इस दौरान बारिश बहुत कम देखने को मिलती है. लेकिन, इस बार सितंबर के दूसरे पखवाड़े तक अच्छी-खासी बारिश हुई है. अब यह वापसी की राह पर है. लेकिन, झारखंड में अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े तक मॉनसून की बूंदें लोगों को भिंगोयेंगी, ऐसा मौसम विभाग का अनुमान है.
मौसम की भविष्यवाणी करने वाली प्राइवेट एजेंसी स्काइमेट का रिकॉर्ड बताता है कि जून में बारिश की कमी 33% थी, जबकि जुलाई, अगस्त में अच्छी-खासी बारिश हुई. जुलाई में 105 प्रतिशत, तो अगस्त में 115 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गयी. स्काइमेट की मानें, तो सितंबर में भी यह प्रवृत्ति जारी रहेगी, यानी सामान्य से ज्यादा वर्षा हो सकती है. अगस्त में भारी बारिश हुई. खासकर 7 से 9 अगस्त के बीच. 8 अगस्त को 8.7 मिमी की सामान्य बारिश के मुकाबले 19.3 मिमी बारिश दर्ज की गयी थी.
सितंबर के पहले पखवाड़े में भी अच्छी बारिश हुई. 13 सितंबर को देश भर में 5.8 मिमी की सामान्य बारिश के मुकाबले 11.5 मिमी बारिश दर्ज की गयी, जो सामान्य से 98 प्रतिशत अधिक है. सितंबर के पखवाड़े में 36 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है. वर्षा के आंकड़ों के आधार पर स्काइमेट का कहना है कि सक्रिय मॉनसून की स्थिति अभी भी बहुत स्पष्ट है. लगातार निम्न दबाव वाले क्षेत्र इस मौसम में भारी बारिश के लिए जिम्मेदार हैं. एक और प्रणाली कतार में है. स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, सितंबर के बाकी बचे दिनों में अच्छी बारिश होने की संभावना है.
उल्लेखनीय है कि दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून जून से शुरू होकर सितंबर तक चलता है. जून मॉनसून के आगमन का महीना है, तो सितंबर मॉनसून की विदाई का. मॉनसून के आगमन और वापसी की सामान्य तारीखें निश्चित तो हैं, लेकिन प्रायः मॉनसून का आगमन और विदाई दोनों निर्धारित समय के आगे-पीछे होती है. इसमें आगमन में बहुत अधिक अंतर देखने को नहीं मिलता, लेकिन मॉनसून की वापसी सामान्य समय से हर बार देर से होती है.
मॉनसून की वापसी सबसे पहले पश्चिमी राजस्थान से होती है. लेकिन, अमूमन ऐसा होता है कि पश्चिमी राजस्थान के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर से भी मॉनसून लौट जाता है. मॉनसून की वापसी का यह मतलब कतई नहीं है कि बारिश बिल्कुल ही नहीं होगी. मॉनसून की वापसी के बाद किसी अन्य मौसमी कारण से बारिश हो सकती है. मॉनसून की वापसी का समय चार महीनों लंबा चलता है.
मॉनसून की वापसी 15 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक ही होती है. जब तक मध्य भारत से मॉनसून विदा हो रहा होता है, तब तक, यानी अक्टूबर के मध्य तक दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्वी मॉनसून का आगमन हो जाता है. इसलिए तमिलनाडु और कर्नाटक सहित दक्षिणी राज्यों से मॉनसून की वापसी नहीं होती. दूसरी ओर, पूर्वोत्तर राज्यों में 15 अक्तूबर तक मॉनसून वापस होता है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर से आमतौर पर सितंबर के आखिर तक मॉनसून लौट जाता है. हालांकि, कई बार ऐसा हुआ है, जब मॉनसून की वापसी अक्तूबर महीने में हुई है. स्काइमेट का अनुमान है कि इसी सप्ताह मॉनसून की वापसी शुरू हो जायेगी. इस दौरान पश्चिमी राजस्थान के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों को मॉनसून एक साथ अलविदा कह सकता है. स्काइमेट का अनुमान है कि 20 सितंबर से चार महीने लंबा चलने वाला मॉनसून वापसी की राह पर निकल सकता है.