श्रम कानून में कैबिनेट के संशोधन का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण: ट्रेड यूनियन
एजेंसियां, नयी दिल्ली केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों ने फैक्टरी कानून सहित तीन महत्वपूर्ण श्रम कानूनों को संशोधित करने के कैबिनेट के हालिया फैसले ‘दुभाग्यपूर्ण’ बताते हुए कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में उनसे संपर्क नहीं किया गया. संशोधनों को मंजूरी देने में सरकार के ‘एकपक्षीय रवैये’ की आलोचना करते हुए 30 जुलाई को संशोधित किये […]
एजेंसियां, नयी दिल्ली केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों ने फैक्टरी कानून सहित तीन महत्वपूर्ण श्रम कानूनों को संशोधित करने के कैबिनेट के हालिया फैसले ‘दुभाग्यपूर्ण’ बताते हुए कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में उनसे संपर्क नहीं किया गया. संशोधनों को मंजूरी देने में सरकार के ‘एकपक्षीय रवैये’ की आलोचना करते हुए 30 जुलाई को संशोधित किये गये तीन कानूनों के कुछ प्रावधानों का भी विरोध किया. ट्रेड यूनियनों की जल्द होगी बैठक : केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों के जल्द ही बैठक होने की संभावना है, जिसमें विकास के नाम पर ‘जल्दबाजी में किये गये नियोक्ता अनुकूल संशोधनों’ के खिलाफ कार्रवाई के बारे में फैसला किया जायेगा. एटक सचिवालय ने 30 जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किये गये श्रम कानून संशोधनों के कुछ प्रावधानों का विरोध किया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लघु एवं मध्यम उपक्रमों से संबंधित फैक्टरी कानून, एप्रेंटिस कानून और श्रम कानून में संशोधनों को मंजूर करते वक्त केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों से संपर्क नहीं किया गया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फैक्टरी कानून 1948, एप्रेंटिस कानून 1961 और श्रम कानून (कुछ प्रतिष्ठानों को रिटर्न भरने और रजिस्टर रखने से छूट) 1988 समेत तीन श्रम कानूनों में संशोधनों को मंजूरी दी है.रात में महिलाओं को काम करने की अनुमति देने का विरोध :एटक ने कहा कि उसने फैक्टरी कानून में संशोधन का विरोध किया है जो रात्रि पाली में महिलाओं को कार्य करने की अनुमति देता है. इसके साथ ही ओवरटाइम को बढ़ा कर 50 घंटे से 100 घंटा किया गया है.कोट:”कुछ संशोधन की मांग ट्रेड यूनियनें कर रही थीं, लेकिन हमें नहीं पता कि सरकार ने अंतत: क्या किया है. यह एकतरफा रवैया भर्त्सना योग्य है.एके पद्मनाभन, अध्यक्ष, सीटू