झारखंड सरकार के काम की समीक्षा कर रही थिंक टैंक
अंजनी कुमार सिंह, नयी दिल्ली : भाजपा ने झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में होनेवाले विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए परंपरागत तरीके से हट कर नया तरीका अपनाया है. भाजपा के ‘थिंक टैंक’ ने इन राज्यों में सरकार के कामकाज को परखने के लिए ‘सूचना के अधिकार कानून’ का रास्ता अपनाया है. थिंक टैंक ने […]
अंजनी कुमार सिंह, नयी दिल्ली : भाजपा ने झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में होनेवाले विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए परंपरागत तरीके से हट कर नया तरीका अपनाया है. भाजपा के ‘थिंक टैंक’ ने इन राज्यों में सरकार के कामकाज को परखने के लिए ‘सूचना के अधिकार कानून’ का रास्ता अपनाया है.
थिंक टैंक ने वर्ष 2014 के चुनाव में किये गये वादे कितने पूरे हुए, इसके लिए इन तीनों राज्यों में लगभग 200 आरटीआइ दाखिल की, ताकि अाधिकारिक पुष्टि हो सके. भाजपा का थिंक टैंक ‘पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर’ है और इसकी अगुवाई पार्टी उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे कर रहे हैं.
इस संस्था को संगठन सचिव रहे रामलाल ने झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र व दिल्ली सरकार की परफॉरमेंस रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा सौंपा था. उसके बाद पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर की आठ सदस्यीय टीम ने इन राज्यों का दौरा कर चुनावी घोषणापत्र में किये गये वादों के अमल को लेकर डाटा जुटा कर रिपोर्ट तैयार की.
हालांकि झारखंड और दिल्ली में विधानसभा चुनावों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन थिंक टैंक ने खास वादों पर आरटीआइ दाखिल कर अधिकारिक पुष्टि करने का काम शुरू कर दिया है.
पब्लिक पॉलिसी की ओर से हरियाणा सरकार द्वारा किये गये कार्यों पर बनायी गयी रिपोर्ट में बताया गया है कि हरियाणा सरकार ने घोषणा पत्र में किये गये 96 फीसदी वायदे काे पूरा किया है. संस्था के डायरेक्टर डॉ सुमित भसीन का कहना है कि हम सही डाटा के आधार पर वैज्ञानिक तरीके से रिसर्च करते हैं.
आरटीआइ का प्रयोग इसलिए किया गया, ताकि कई चीजें सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं हैं. इसके आधार पर बनाये गये परफाॅरमेंस रिपोर्ट के आधार पर पार्टी को मतदाताओं के मिजाज को समझने का मौका मिलता है.
आरटीआइ ऐसे मामलों में दाखिल किया गया, जहां राज्य सरकारों का जवाब संतुष्ट करनेवाला नहीं था. चुनाव के समय सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए घोषणापत्र जारी करते हैं, लेकिन सोशल मीडिया के इस दौर में संस्था ने मतदाताओं को सटीक जानकारी देने के लिए यह पहल की है.
झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में सरकार के काम-काज की समीक्षा के लिए ‘आरटीआइ’ का भी किया जा रहा है उपयोग