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निजी अस्पतालों ने किया इलाज से इनकार, रिम्स ने जटिल सर्जरी कर एक माह के बच्चे को दी नयी जिंदगी

बच्चे के सिर में बन गये थे तीन गोले ब्रेन का कुछ हिस्सा भी था प्रभावित बच्चे के सिर के पिछले भाग में तीन गोले बन गये थे रांची : रिम्स के पीडियेट्रिक सर्जरी विभाग व एनेस्थिसिया विभाग की टीम ने जमुई निवासी मासूम रेहान (एक माह) को नयी जिंदगी दी है. उसके सिर के […]

बच्चे के सिर में बन गये थे तीन गोले ब्रेन का कुछ हिस्सा भी था प्रभावित
बच्चे के सिर के पिछले भाग में तीन गोले बन गये थे
रांची : रिम्स के पीडियेट्रिक सर्जरी विभाग व एनेस्थिसिया विभाग की टीम ने जमुई निवासी मासूम रेहान (एक माह) को नयी जिंदगी दी है. उसके सिर के पिछले भाग में तीन गोले (ब्रेन का कुछ हिस्सा व पानी) बन गये थे.
उसकी सफल सर्जरी पिछले शनिवार को हुई. मेडिकल भाषा में इसे ओसिटोपीटल एनकेफ्लोसिल कहा जाता है. इसमें सिर में ट्यूमर की तरह गोला हो जाता है. रेहान के पिता मो रिजवान ने बताया कि जन्म के समय से ही गोला था, लेकिन धीरे-धीरे यह बड़ा हो रहा था. पीडियेट्रिक सर्जन डॉ अभिषेक ने बताया कि ओसिटोपीटल एनकेफ्लोसिल के बच्चे को फीडिंग करने में दिक्कत हो रही थी. बच्चे को उठाने में भी परेशानी होती थी. इसके बाद बच्चे को पीडियेट्रिक सर्जरी विभाग में लाया गया. आवश्यक जांच कराने के बाद सर्जरी की गयी. ट्यूमर बन चुके गोला में ब्रेन का सेरीब्रम भाग पूरी तरह सुरक्षित था.
वहीं सेरीब्रम को बिना छेड़छाड़ किये उसे सही जगह पर शिफ्ट कर दिया गया. ऐनस्थेटिक डॉ वसीम होदा ने बताया कि यह सर्जरी बहुत जटिल थी.
सर्जरी के बाद बच्चा मां का दूध पी रहा है. गुरुवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी जायेगी. ऑपरेशन विभागाध्यक्ष डॉ हिरेंद्र बिरुआ की देखरेख में किया गया, जिसमें डॉ अभिषेक सिंह, डाॅ प्रीतम, डाॅ उत्सव, डॉ अभिषेक विश्वकर्मा, एनेस्थेटिक डॉ मुकेश कुमार, डॉ अंकिता, डॉ अभिषेक व डॉ कुंदन आदि का सहयोग रहा.
निजी अस्पतालों ने िकया इलाज से इनकार, रिम्स में बची दोनों की जान
रांची : रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को नयी जिंदगी मिल रही है. डॉक्टरों के प्रयास की बदौलत कांके निवासी पुष्पा (55) और ओड़िशा की सोमेन खटवा (25) की जान बच गयी. दोनों मरीज गंभीर अवस्था में रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हुई थीं. निजी अस्पतालों ने दोनों के परिजनों को कह दिया था कि घर ले जाकर सेवा करने की जरूरत है.
हालांकि परिजनों ने अंतिम आस लेकर उन्हें रिम्स में भर्ती कराया. बेहाेशी की अवस्था में होने के कारण दोनों मरीजों को वेंटीलेटर पर रखा गया. क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ प्रदीप भट्टाचार्या व डॉ मो सैफ खान की टीम द्वारा इलाज शुरू किया गया.
डॉ प्रदीप ने बताया कि माइस्थीनिया ग्रेवीस की चपेट में आने से मरीज के हार्ट की मांसपेशियां कमजोर हो गयी थीं. इससे सांस लेने में दिक्कत आ रही थी. छाती में स्थित थायमस ग्लैंड के सही से काम नहीं करने पर यह समस्या आयी थी. पुष्पा का निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने सही डाइग्नोस ही नहीं किया था, जिससे सही इलाज नहीं हो पा रहा था.
रिम्स में सही डाइग्नोस होने व इलाज मिलने पर समस्या से निजात मिली. वहीं सोमेन को पहले रिम्स के मेडिसिन में रखा गया. वहां से ट्रॉमा सेंटर शिफ्ट किया गया था. दोनों की स्थिति अब ठीक है. वेंटीलेटर से हटा कर रिकवरी विंग में रखा गया है. शीघ्र ही दवा देकर छुट्टी कर दी जायेगी.
कोट:
ट्रॉमा सेंटर में कई गंभीर मरीजों का इलाज कर स्वस्थ किया गया है. ये दोनों मरीज ज्यादा गंभीर थे. निजी अस्पताल से परिजन अंतिम आस लेकर आये थे. मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है.
डाॅ प्रदीप भट्टाचार्य, इंचार्ज ट्रॉमा सेंटर

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