रांची : झारखंड विधानसभा में गलत तरीके से नियुक्त और गलत तरीके से प्रोन्नत अफसरों व कर्मचारियों की बर्खास्तगी व डिमोट करने की प्रक्रिया चलने के बावजूद उनकाे वेतनवृद्धि का लाभ दे दिया गया है. इनमें विधानसभा के प्रशाखा पदाधिकारी और आप्त सचिव स्तर के अधिकारी शामिल हैं. वेतनवृद्धि से इन सभी को छह से सात हजार रुपये प्रतिमाह का फायदा होगा.
दो को जबरन सेवानिवृत्ति, आरोपियों से मांगा स्पष्टीकरण
नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले में शामिल होने के आरोपी संयुक्त सचिव स्तर के दो अधिकारियों रवींद्र कुमार सिंह और राम सागर राम को जबरन सेवानिवृत्त दी जा चुकी है.
मामले में झारखंड विधानसभा के पहले स्पीकर इंदर सिंह नामधारी, पूर्व स्पीकर आलमगीर आलम और तीन पूर्व विधानसभा सचिव सहित कार्यरत आधा दर्जन से ज्यादा संयुक्त व उप सचिव स्तर के अफसरों से जवाब मांगा गया है. गलत तरीके से नियुक्त और प्रोन्नत अफसरों से स्पष्टीकरण पूछ कर उन पर कार्रवाई की प्रक्रिया पूरी की जा रही है.
500 के करीब हुई थीं अवैध नियुक्तियां
तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष रहे इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के कार्यकाल में 500 से अधिक अवैध नियुक्तियां हुई थीं. वहीं, शशांक शेखर भोक्ता के कार्यकाल में 150 सहायकों को गलत तरीके से प्रोन्नत किया गया था. राज्यपाल के आदेश के बाद जांच के लिए आयोग का गठन हुआ था. जांच का जिम्मा जस्टिस लोकनाथ प्रसाद को दिया गया था.
दो साल में जांच पूरी नहीं होने पर जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद को आयोग की जिम्मेदारी दी गयी थी. जांच में जस्टिस प्रसाद ने भारी गड़बड़ी पायी थी. वर्ष 2018 में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कार्रवाई की अनुशंसा के साथ ही विधानसभा को रिपोर्ट भेज दी. उसके बाद आरोपी अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है.