झारखंड की राजनीति: IAS व IPS अफसरों की चुनावी दंगल में रही है धाक, अमिताभ क्रिकेट में जीते राजनीति में नहीं चला सिक्का

सुनील चौधरी रांची : झारखंड की सियासी फिजा को आज कल अफसरों की अफसरशाही से ज्यादा खादी का पावर भा रहा है. ब्यूरोक्रेट्स और राजनीति की संगत तो देश में पहले से चली आ रही है. राजनीतिक व्यक्ति जब सत्ता में आता है, तो ब्यूरोक्रेट्स को अपनी योजना या विजन देकर काम करता है या […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2019 6:58 AM
सुनील चौधरी
रांची : झारखंड की सियासी फिजा को आज कल अफसरों की अफसरशाही से ज्यादा खादी का पावर भा रहा है. ब्यूरोक्रेट्स और राजनीति की संगत तो देश में पहले से चली आ रही है. राजनीतिक व्यक्ति जब सत्ता में आता है, तो ब्यूरोक्रेट्स को अपनी योजना या विजन देकर काम करता है या ब्यूरोक्रेट्स अपना विजन देकर राजनेताओं को संतुष्ट करते हैं, तो राजनेता उसके अनुरूप काम करते हैं. अक्सर ब्यूरोक्रेटस में राजनीति का बुखार चढ़ता रहा है और वे खुद चुनावी मैदान में भी उतरते रहे हैं.
चाहे आइपीएस-आइएएस हो या राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी चुनावी मैदान में उतरने लगे हैं. कई अफसरों ने सफलता पायी है, तो कई असफल भी रहे. हालांकि यह वर्षों से होता आ रहा है कि वर्दी छोड़ कर अधिकारी लोकतंत्र के महापर्व में जुट जाते हैं. अभी आइपीएस अधिकारी रेजी डुंगडुंग ने चुनावी मैदान में उतरने का एलान कर दिया है. उन्होंने वीअारएस ले लिया है. खबर है कि सिमडेगा विधानसभा से वह चुनाव लड़ेंगे.
पार्टी अभी तय नहीं है. श्री डुंगडुंग के इस कदम के बाद ही एक बार फिर झारखंड में ब्यूरोक्रेसी बनाम राजनीति पर चर्चा होने लगी है.
झारखंड के ये अधिकारी आ चुके हैं राजनीति में
यशवंत सिन्हा, बंदी उरांव, रामेश्वर उरांव, अमिताभ चौधरी, डॉ अजय कुमार, बीडी राम, राजीव कुमार, जेबी तुबिद, लक्ष्मण सिंह, सुखदेव भगत, अरुण उरांव, लंबोदर महतो, बीके चौहान, राजीव रंजन.
यशवंत सिन्हा आइएएस से केंद्र सरकार में वित्त मंत्री तक बने
आइएएस अधिकारी रहे यशवंत सिन्हा झारखंड की राजनीति में पहले राजनेता हैं, जो हजारीबाग सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े और जीते भी. यशवंत सिन्हा केंद्र में वित्त मंत्री तक बने. हालांकि संयुक्त बिहार के समय से ही वह चुनाव लड़ते आ रहे हैं. फिलहाल यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा हजारीबाग से सांसद हैं. वहीं आइपीएस अधिकारी बंदी उरांव भी वीआरएस लेकर सिसई सीट से चार बार विधायक बने थे. जबकि आइपीएस अधिकारी रामेश्वर उरांव भी लोहरदगा संसदीय सीट से सांसद का चुनाव जीत चुके हैं. अभी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं.
अमिताभ चौधरी क्रिकेट में जीते पर राजनीति के मैदान में नहीं चला सिक्का
आइपीएस अधिकारी अमिताभ चौधरी भी वीआरएस लेकर पहले क्रिकेट का चुनाव लड़े फिर रांची संसदीय सीट से चुनाव लड़े. क्रिकेट के चुनाव में तो वह सफल हो गये. पर राजनीतिक चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
राजनीति में आइपीएस अधिकारी डॉ अजय कुमार भी कूदे. वीआरएस लेकर वह पहले झाविमो के टिकट पर जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. पांच साल सांसद रहे. पर दूसरी बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद कांग्रेस में आये अजय कुमार पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बने. हालांकि उनके नेतृत्व में कांग्रेस को लोकसभा 2019 में सफलता नहीं मिली.
अब वह कांग्रेस छोड़ कर आम आदमी पार्टी में चले गये हैं. आइपीएस अधिकारी रहे सुबोध प्रसाद गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से आजसू की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. पर उन्हें सफलता नहीं मिली थी. डीजीपी के पद से सेवानिवृत्त अधिकारी बीडी राम भाजपा के टिकट पर पलामू से लोकसभा सीट से दूसरी बार सांसद बनने में सफल रहे. डीजीपी पद से रिटायर हुए राजीव कुमार भी चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी. पर उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था.
विधानसभा चुनावों में भी अधिकारियों की रही है मौजूदगी
लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी राज्य के अधिकारियों की उपस्थिति रही है. इसी कड़ी में आइएएस अधिकारी रहे जेबी तुबिद का नाम आता है. वर्ष 2014 में नौकरी के पांच वर्ष पूर्व ही उन्होंने वीआरएस ले लिया. भाजपा ने उन्हें चाईबासा से टिकट दिया. पर श्री तुबिद को सफलता नहीं मिली थी. खबर है कि इस बार वह विधानसभा के चुनाव में वह जोर लगायेंगे.आइपीएस अधिकारी रहे लक्ष्मण सिंह भी भाजपा के टिकट पर राजधनवार सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं.
पर वह जीत नहीं पाये. कांग्रेस के वर्तमान विधायक सुखदेव भगत भी राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे. वह भी नौकरी छोड़ कर राजनीति में कूदे और सफल भी हुए. चर्चा है कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं. पंजाब कैडर के आइपीएस अधिकारी रहे अरुण उरांव ने भी राजनीति के लिए नौकरी छोड़ दी. वह अभी कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं. हालांकि अभी तक झारखंड से उन्हें टिकट नहीं मिला है.
चर्चा है कि विधानसभा चुनाव में वह भी भाग्य आजमाना चाहते हैं. राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके लंबोदर महतो भी वीआरएस लेकर गोमिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली थी. इस बार वह फिर भाग्य आजमाना चाहते हैं.
झारखंड में अधिकारी रहे दूसरे राज्यों से लड़ा चुनाव
अाइएएस अधिकारी बीके चौहान कभी झारखंड में स्वास्थ्य सचिव और झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के चेयरमैन पद पर काम कर चुके हैं. उन्होंने भी वीआरएस लेकर हिमाचल प्रदेश से चुनाव लड़ा. भाजपा से उन्हें टिकट मिला. वह सफल भी हुए और विधायक बने. झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के पहले अध्यक्ष रहे राजीव रंजन भी बिहार के इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू के टिकट पर विधायक बने. बाद में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. अभी वह भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता के रूप में बिहार में ही सक्रिय हैं.

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