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दवा कंपनियों से सीधे सांठगांठ कर दवा मंगाते हैं डॉक्टर, मरीजों को लिखते हैं वही दवा, जो उनकी दुकानों पर मिलती है

रांची : राज्य के अधिकांश डॉक्टर अपने अस्पताल व क्लिनिक में खुद की दवा दुकान चलाते हैं. वे मरीजों को परामर्श के बाद वही दवा लिखते हैं, जो सिर्फ उनकी दुकानें पर उपलब्ध होती हैं. मरीजों को ब्रांडेड दवा के साथ-साथ प्रोपेगेंडा कंपनी की दवाएं भी दी जाती हैं. ऐसी दवाओं में ज्यादा मार्जिन रहता […]

रांची : राज्य के अधिकांश डॉक्टर अपने अस्पताल व क्लिनिक में खुद की दवा दुकान चलाते हैं. वे मरीजों को परामर्श के बाद वही दवा लिखते हैं, जो सिर्फ उनकी दुकानें पर उपलब्ध होती हैं. मरीजों को ब्रांडेड दवा के साथ-साथ प्रोपेगेंडा कंपनी की दवाएं भी दी जाती हैं. ऐसी दवाओं में ज्यादा मार्जिन रहता है, जिसे डॉक्टर सीधे कंपनी से सेटिंग कर मंगा लेते हैं. ऐसे में उक्त दवा के प्रचार-प्रसार पर कंपनी को ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ा है. दूसरी ओर डाॅक्टरों को भी अधिक मुनाफा होता है.
राजधानी के एक डॉक्टर ने बताया कि जिन डॉक्टरों का अपना अस्पताल या क्लिनिक नहीं होता है, वह भी कमाई का रास्ता बना लेते हैं. वह सीधे कंपनी से सेटिंग कर अस्पताल की दवा दुकान में दवा मंगवा लेते हैं. उस खास डॉक्टर साहब की खास दवा उसी दवा दुकान पर मिलती है. अन्य दवा दुकानों पर नहीं मिलती है. एक मरीज ने बताया कि एक डॉक्टर ने जोनम नामक दवा खरीदने का परामर्श दिया था, जो संबंधित अस्पताल की दवा दुकान को छोड़कर अन्य किसी दवा दुकान में नहीं मिली.
डॉक्टर कंपनी से अपने लिए तैयार कराते हैं दवाइयां
डॉक्टर प्रोपेगेंडा कंपनी (पीडी कंपनी) या जेनेरिक ब्रांडेड कंपनी की दवाओं को अपने लिए तैयार कराते हैं. उसमें डॉक्टर व दवा कंपनी से बीच कोई लिखित अनुबंध नहीं होता है. ऑर्डर मिलने के बाद कंपनी सीधे डॉक्टर के क्लिनिक व अस्पताल की दवा दुकानों पर दवा भेजवा देती है. डॉक्टर अपने हिसाब से दवाओं की कीमत भी तय करा लेते हैं.
ऐसे होती है कमाई
डॉक्टर अपने क्लिनिक पर मरीज को अगर पांच से छह दवा लिखते हैं, तो उसमें एक से दो दवा पीडी कंपनी की शामिल होती है. यह दवा अक्सर मल्टी बिटामिन की होती है, जिसमें काफी मार्जिन होता है. मल्टी बिटामिन की दवा दो से तीन माह तक के लिए दी जाती है. एेसे में डॉक्टरों को अधिक मुनाफा होता है.
न्यूरो, इएनटी व स्किन के मरीजों को ज्यादा परेशानी
न्यूरोलाॅजी, न्यूरो सर्जरी, इएनटी व स्किन के डॉक्टरों द्वारा लिखी गयीं दवाएं ज्यादातर उनके क्लिनिक पर ही मिलती हैं. ऐसे में मरीजों को खास दवा दुकान से दवा खरीदने की बाध्यता रहती है. सबसे ज्यादा परेशानी दूर-दराज से आये मरीजों को होती है.

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