सुनिए झारखंड के नायकों को : विकास के नाम पर झारखंड का नुकसान नहीं हो

-पद्मश्री बुलु इमाम- -झारखंड में जनजातीय कला एवं संस्कृति की विरासत के संरक्षण की जरूरत है- विकास के नाम पर बर्बादी बंद होनी चाहिए. विस्थापन, जंगल कटाई, घर तोड़ना और माइंस खोलना बंद होना चाहिए. जो भी सरकार बने. इस बात को ध्यान रखे. विकास हो, लेकिन बर्बादी नहीं हो. विकास के नाम पर झारखंड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2019 7:32 AM
-पद्मश्री बुलु इमाम-
-झारखंड में जनजातीय कला एवं संस्कृति की विरासत के संरक्षण की जरूरत है-
विकास के नाम पर बर्बादी बंद होनी चाहिए. विस्थापन, जंगल कटाई, घर तोड़ना और माइंस खोलना बंद होना चाहिए. जो भी सरकार बने. इस बात को ध्यान रखे. विकास हो, लेकिन बर्बादी नहीं हो. विकास के नाम पर झारखंड का नुकसान नहीं हो. सरकार तो अाती-जाती रहती है. यह बात मैं पिछले 30 साल से बोल रहा हूं. किसानों के खेत को खदान बना दिया जा रहा है. नदी में बांध बनने से खेतों में पानी कहां से आयेगा.
आप मेरे सामने मुर्दा लाकर सुला दे रहे हैं. कह रहे हैं कि आप बड़े डॉक्टर हैं. इसको दवा दे दीजिए. मुर्दा को दवा दिया जा सकता है? क्या इससे कोई लाभ होगा? इसलिए मैं कहता हूं कि सिस्टम में गड़बड़ी है. इसमें सुधार की जरूरत है. कहीं न कहीं आग लगी है, तभी धुआं चारों ओर उठ रहा है.
मैं दुनिया के कई देशों में घूमा हूं. कहीं विकास के नाम पर टूटा मकान नहीं दिखा. कोई खंडहर अगर है, तो वह ऐतिहासिक धरोहर है. सिस्टम की खामियां दूर होनी चाहिए. शौचालय बना कर दिया जा रहा है, लेकिन पानी कहां से आयेगा यह कोई नहीं बता रहा.
झारखंड के शहरों में रिंग रोड और बाइपास शहर में ही बन रहा है. हजारीबाग का रिंग रोड शहर से सात किमी दूर बनना चाहिए था. झारखंड में 22 फीसदी जंगल बचा है. राज्य के 10 फीसदी खेतों के लिए ही सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं. पर्यटन के लिए प्राकृतिक धरोहर को बचाने की जरूरत है.
जलवायु परिवर्तन से पूरी दुनिया को खतरा है. असमय वर्षा हो रही है. मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि विदेशों में भी विकास हुए हैं. लेकिन पेड़ और घर तोड़ कर नहीं हुए हैं. झारखंड में जनजातीय कला एवं संस्कृति की विरासत के संरक्षण की जरूरत है. सोहराय एवं कोहबर कला से ग्रामीण महिलाओं को जोड़े रखने की जरूरत है.

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