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झारखंड विस चुनाव: महागठबंधन में झाविमो के शामिल होने पर असमंजस, बाबूलाल पकड़ सकते हैं अलग राह, कांग्रेस चुप

रांची : बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच यूपीए महागठबंधन से झाविमो के शामिल होने पर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. अब तक यूपीए में महागठबंधन का खाका तय नहीं हो सका है. खासकर झामुमो और झाविमो के बीच दूरियां बढ़ी हैं. झामुमो गठबंधन में झाविमो को रखने का मन पूरी तरह से नहीं […]

रांची : बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच यूपीए महागठबंधन से झाविमो के शामिल होने पर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. अब तक यूपीए में महागठबंधन का खाका तय नहीं हो सका है. खासकर झामुमो और झाविमो के बीच दूरियां बढ़ी हैं. झामुमो गठबंधन में झाविमो को रखने का मन पूरी तरह से नहीं बना पा रहा है. हालांकि, कांग्रेस महागठबंधन में झाविमो को शामिल करने के पक्ष में है. झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने हाल के दिनों में गठबंधन को लेकर कोई पहल नहीं की है. वह पहले कांग्रेस और झामुमो के बीच मामला तय होने तक इंतजार की मुद्रा में हैं.

झाविमो की रणनीति भाजपा, झामुमो और कांग्रेस जैसे दलों से बागी होनेवाले दावेदार को पार्टी में जगह देने की है. झाविमो प्रमुख की नजर पलामू में गढ़वा, भवनाथपुर, विश्रामपुर, छत्तरपुर के अलावा सिसई, गुमला, सिमडेगा, हटिया, खूंटी, कोडरमा, हजारीबाग, मांडू, धनबाद, दुमका, राजमहल, लिट्टीपाड़ा, जामताड़ा, मधुपुर जैसी सीटों पर है. श्री मरांडी को भरोसा है कि इन सीटों पर कांग्रेस और झामुमो के बीच बात बनने के बाद बागी दावेदार झाविमो में ही ठौर तलाशेंगे.

वहीं, भाजपा में दूसरे दलों से आनेवाले संभावित प्रत्याशियों की वजह से विक्षुब्धों की लंबी सूची तैयार हो रही है. इस सूची में कुछ बड़े चेहरे भी शामिल हैं. भाजपा के ऐसे बड़े चेहरे गठबंधन के खेल में झाविमो के पाले में आ सकते हैं.

गठबंधन में 12 से ज्यादा सीटों की नहीं है उम्मीद

यूपीए महागठबंधन में झाविमो को 12 से अधिक सीटें हाथ लगने की उम्मीद नहीं है. बाबूलाल इतनी कम सीटों पर शायद ही मानें. वह मान रहे हैं कि गठबंधन में लड़ कर भी झाविमो को अधिक सीटें नहीं मिलेंगी. उतनी सीटें पार्टी अकेले लड़ कर भी ला सकती है. झामुमो ने बाबूलाल का रास्ता काटने के लिए यूपीए महागठबंधन में राजद व वाम दल का रास्ता खोल दिया है. हेमंत सोरेन का मानना है कि राजद और वाम दलों को 10 सीटें देकर गठबंधन का स्वरूप बड़ा किया जा सकता है. इस वजह से झामुमो बाबूलाल मरांडी को गठबंधन से दूर ही रखना चाहता है. झामुमो की राजनीति आदिवासी बहुल क्षेत्र में कांग्रेस या झाविमो को पैठ नहीं बनाने देने की है.

झाविमो गठबंधन में नहीं रहा, तो बिदक सकते हैं प्रदीप यादव व बंधु तिर्की
झाविमो के अंदर विधायक प्रदीप यादव और पूर्व मंत्री बंधु तिर्की गठबंधन के पक्ष में हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों नेताओं ने कांग्रेस और झामुमो से गठबंधन पर बात की थी. श्री तिर्की कांग्रेस के सह प्रभारी उमंग सिंघार से संपर्क में रहे हैं. बाबूलाल के यूपीए से नाता तोड़ने पर दोनों विधायक अलग रास्ता तलाश सकते हैं. मालूम हो कि हाल के दिनों में प्रदीप यादव ने झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन से बात की थी. यह झाविमो के अंदर उलट-फेर की राजनीति का संकेत हो सकता है.

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