झारखंड में खेल व खिलाड़ियों को मिले प्रोत्साहन, खिलाड़ियों को उठाना पड़ रहा है खेल नीति न होने का नुकसान

राज्य में खेल नीति न होने का नुकसान खिलाड़ियों को उठाना पड़ रहा है झारखंड में चुनाव के बाद जिस किसी की सरकार आये, वह खेल व खिलाड़ियों के हित की भी बात करे. झारखंड बनने के 19 वर्षों बाद भी राज्य में खेल नीति न होने का नुकसान खिलाड़ियों को उठाना पड़ रहा है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 27, 2019 1:11 AM
  • राज्य में खेल नीति न होने का नुकसान खिलाड़ियों को उठाना पड़ रहा है
  • झारखंड में चुनाव के बाद जिस किसी की सरकार आये, वह खेल व खिलाड़ियों के हित की भी बात करे.
झारखंड बनने के 19 वर्षों बाद भी राज्य में खेल नीति न होने का नुकसान खिलाड़ियों को उठाना पड़ रहा है. खिलाड़ियों को नौकरी दी जाने की व्यवस्था भी झारखंड में होनी चाहिए.जो खिलाड़ी नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर पदक जीत रहे हैं या फिर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, सरकार उनका चयन कर ट्रेनिंग व अन्य सुविधाएं मुहैया कराये. चुनाव के बाद जो भी सरकार बने, उसमें पारदर्शिता होना जरूरी है. कोई भी योजना लागू हो या सरकार कोई स्कीम लाये, तो वह आम लोगों व लाभुकों तक आसानी से पहुंचे.
हर गांव में नारी शिक्षा पर जोर देने की जरूरत है. राज्य के हर गांव व कस्बे में लड़कियों की शिक्षा की उत्तम व्यवस्था हो. साथ ही लड़कियों को छोटी उम्र से ही खेलकूद के प्रति प्रोत्साहित किया जाये. नयी सरकार को पर्यावरण संरक्षण के लिए भी कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए. पहाड़ों व पेड़ों का कटाव रोकने पर सख्ती हो. इसमें समाज भी सरकार को सहयोग करे.
जमशेदपुर में रहनेवाली पद्मश्री प्रेमलता अग्रवाल एडवेंचर स्पोर्ट्स व महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य कर रही हैं. उन्होंने वर्ष 2011 में 45 वर्ष की आयु में एवरेस्ट फतह कर रिकॉर्ड बनाया था. इसके अलावा वह दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटी फतह कर चुकी हैं.

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