फ्लैशबैक : जमींदारी प्रथा के विरोधी केबी सहाय के दुश्मन बने जमींदार

चुनाव में केवल एक बार राजा को शिकस्त दे सके थे केबी सहाय रांची : बिहार के चौथे मुख्यमंत्री कृष्णबल्लभ सहाय (केबी सहाय) ने अपना पहला चुनाव 1951-52 में गिरिडीह और बड़कागांव से लड़ा था. दोनों जगहों पर उनके प्रबल विरोधी रामगढ़ राजा कामाख्या नारायण सिंह उनके प्रतिद्वंद्वी थे. गिरिडीह में श्री सहाय ने करीब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2019 6:47 AM
चुनाव में केवल एक बार राजा को शिकस्त दे सके थे केबी सहाय
रांची : बिहार के चौथे मुख्यमंत्री कृष्णबल्लभ सहाय (केबी सहाय) ने अपना पहला चुनाव 1951-52 में गिरिडीह और बड़कागांव से लड़ा था. दोनों जगहों पर उनके प्रबल विरोधी रामगढ़ राजा कामाख्या नारायण सिंह उनके प्रतिद्वंद्वी थे.
गिरिडीह में श्री सहाय ने करीब तीन हजार वोटों से राजा साहब को मात दी. यह पहली और इकलौती बार था, जब राजा कामाख्या नारायण सिंह को श्री सहाय के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद केबी सहाय वर्तमान झारखंड के क्षेत्र से कई बार चुनाव लड़े, लेकिन कभी जीत नहीं सके.
केबी सहाय 1936 के ब्रिटिश राज में घोषित प्रादेशिक स्वायत्तता की सरकार में भी चुने गये थे. 1937 में कृष्णा सिन्हा के मंत्रालय में वह संसदीय सचिव थे. इसी दौरान उन्होंने जमींदारों के हाथों गरीब किसानों का शोषण देखा. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1951 में बिहार सरकार के राजस्व मंत्री बनते ही उन्होंने किसानों को जमींदारों के चंगुल से छुड़ाने का काम किया. जमींदारी प्रथा को खत्म करने के लिए विधेयक पारित कराया.
इससे जमींदार उनके विरोधी बन गये. राजा कामाख्या नारायण सिंह आजीवन उनको चुनाव हराने में लगे रहे और सफल भी हुए. 1957 के चुनाव में राजा ने केबी सहाय को गिरिडीह से पटखनी दी. 1962 के चुनाव में वह पांच सीटों से चुनाव लड़े. गिरिडीह, बेरमो, जमुआ, गावां और पटना वेस्ट. केवल पटना वेस्ट से ही चुनाव जीत सके.
शेष चारों जगहों पर श्री सहाय बुरी तरह से हार गये. 1963 में महात्मा गांधी के जन्मदिन के दिन केबी सहाय बिहार के चौथे मुख्यमंत्री बने. 1967 के चुनाव में श्री सहाय को एक बार फिर से हार का सामना करना पड़ा. वह हजारीबाग, चतरा और पटना से चुनाव लड़े और हार गये.
हजारीबाग और पटना से उनको जन क्रांति दल के प्रत्याशियों क्रमश: आर प्रसाद और एम सिन्हा ने हराया था. जबकि चतरा से निर्दलीय प्रत्याशी केपी सिंह से श्री सहाय हार गये थे. इसके बाद 1974 में उनको बिहार विधानसभा के ऊपरी सदन के लिए चुना गया. लेकिन, चुनाव के तुरंत बाद ही अपने पैतृक जिले हजारीबाग जाते हुए सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी.

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