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सुनिए झारखंड के नायकों को : जीत कर आते हैं, तो खिलाड़ियों का सम्मान तक नहीं किया जाता
असुंता लकड़ा खेल और खिलाड़ियों को और महत्व-लाभ मिले झारखंड के खिलाड़ियों का अपेक्षित सम्मान नहीं हो पाता है. इसलिए चुनाव में ऐसे मुद्दे भी शामिल होने चाहिए, जिससे खिलाड़ियों को उनका सम्मान और हक मिल सके. खिलाड़ी जब मैदान में उतरते हैं, तो यह नहीं देखते कि हम किस गांव या शहर से आये […]
असुंता लकड़ा
खेल और खिलाड़ियों को और महत्व-लाभ मिले
झारखंड के खिलाड़ियों का अपेक्षित सम्मान नहीं हो पाता है. इसलिए चुनाव में ऐसे मुद्दे भी शामिल होने चाहिए, जिससे खिलाड़ियों को उनका सम्मान और हक मिल सके. खिलाड़ी जब मैदान में उतरते हैं, तो यह नहीं देखते कि हम किस गांव या शहर से आये हैं.
वे झारखंड का खिलाड़ी बन कर अपने राज्य के लिए खेलते हैं. लेकिन जीत कर जब वे वापस आते हैं, तो उनका सम्मान तक नहीं किया जाता है. उनके इनाम की घोषणा तो कर दी जाती है, लेकिन उसके लिए उन्हें सालों विभाग के चक्कर लगाने पड़ते हैं. हम दूसरे राज्यों का उदाहरण देते हैं, लेकिन वहां की पॉलिसी से हमारे यहां के लोग कुछ नहीं सीखते.
मेरा मानना है कि इस बार विधानसभा चुनाव में यह चुनावी मुद्दा जरूर होना चाहिए. इसके साथ ही यह जरूरी है कि चुनाव, जाति या धर्म से ऊपर उठ कर हो. झारखंड में सभी जाति व धर्म के लोग रहते हैं. इसलिए कहीं भी कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. जिससे हर किसी को समाज में एक साथ रहने का बेहतर माहौल मिल सके. किसी विशेष वर्ग को फोकस नहीं किया जाये. सब मिल कर रहे और एक साथ रहे. इसका लाभ झारखंड को ही होगा और आनेवाले समय में हमारे झारखंड का नाम पूरी दुनिया में रोशन होगा.
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