रांची : फर्जी डीड पर बेची गयी 92 एकड़ जमीन की जमाबंदी डीसी ने रद्द की

शकील अख्तर रांची : सेल डीड बदल कर जमीन की हेराफेरी करने के मामले में उपायुक्त राय महिमापत रे ने 92.44 एकड़ जमीन की जमाबंदी रद्द कर दी है. यह जमीन पंडित देवकी नंदन मिश्र की है. रजिस्ट्री ऑफिस से असली सेल डीड बदल कर उसमें फर्जी सेल डीड रख दिया गया था. फर्जी डीड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 8, 2019 7:51 AM
शकील अख्तर
रांची : सेल डीड बदल कर जमीन की हेराफेरी करने के मामले में उपायुक्त राय महिमापत रे ने 92.44 एकड़ जमीन की जमाबंदी रद्द कर दी है. यह जमीन पंडित देवकी नंदन मिश्र की है.
रजिस्ट्री ऑफिस से असली सेल डीड बदल कर उसमें फर्जी सेल डीड रख दिया गया था. फर्जी डीड में यह लिखा गया था कि पंडित देवकी नंदन मिश्र ने यह जमीन गणेश साहू और दशरथ साहू को बेच दी थी. डीड बदल कर जमीन की खरीद बिक्री का खुलासा फाॅरेंसिक जांच की रिपोर्ट और फिंगर प्रिंट रजिस्टर के मिलान के बाद हुआ है.
डीड बदल कर 92.44 एकड़ जमीन बेचे जाने की जानकारी मिलने के बाद पंडित देवकी नंदन मिश्र के पारिवारिक सदस्यों ने इसकी शिकायत मुख्य सचिव से की और जांच की मांग की. इसके बाद मुख्य सचिव ने 13 मई 2016 को इस मामले की विस्तृत जांच करने और जांच परिणाम के आधार पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
इसके आलोक में मामले की जांच शुरू हुई. पंडित देवकी नंदन मिश्र के पारिवारिक सदस्यों द्वारा की गयी शिकायत के आधार पर रजिस्ट्री कार्यालय में रखे गये वॉल्यूम नंबर 25/1966 के डीड नंबर 397 और डीड नंबर 415 को जांच के लिए नेशनल फाॅरेंसिक लैब कोलकाता भेजा गया. क्योंकि इन्हीं दोनों फर्जी डीड के सहारे पंडित देवकी नंदन मिश्र की जमीन दशरथ साहू और गणेश साहू के नाम पर बिक्री दिखायी गयी थी.
फाॅरेंसिक रिपोर्ट जालसाजी की बात प्रमाणित : फाॅरेंसिक रिपोर्ट में डीड में जालसाजी करने की बात प्रमाणित हुई. इसके बाद जिला प्रशासन ने फाॅरेंसिक रिपोर्ट, फिंगर प्रिंट रजिस्टर, इंडेक्स-1 और इंडेक्स-2 के ब्योरे से मिलान किया. इसमें यह पाया गया कि वॉल्यूम नंबर 25/1966 में रखा गया डीड नंबर 397 और 415 फर्जी है. वास्तव में डीड नंबर 397 की जमीन महादेव घासी और डीड नंबर 415 की जमीन परमेश्वर सिंह से संबंधित है.
इस बीच अंचल अधिकारी के कार्यालय में जमाबंदी रद्द करने के लिए दो मिसलिनियस केस (01/2018-18 और 02/2018-19) शुरू किया गया. अंचलाधिकारी ने अपने कार्यालय में रखे दस्तावेज की जांच में यह पाया कि दशरथ साहू के नाम पर दिखाया गया म्यूटेशन केस नंबर 148आर/1984-85 वास्तव में कुमुदनी लिंडा और गणेश साहू के नाम पर दिखाया गया म्यूटेशन केस नंबर 151आर/1984-85 सुशीला देवी के नाम पर है.
अंचलाधिकारी ने दोनों मामलों में धोखाधड़ी और जालसाजी किये जाने की रिपोर्ट उपायुक्त को भेजी. इसके बाद उपायुक्त ने दशरथ साहू के नाम पर खाता नंबर 119/353 के प्लॉट संख्या 109, 300, 302, 336, 415, 485 और 370/1348 में निहित कुल 48.25 एकड़ जमीन और खाता संख्या 119/352 के प्लॉट संख्या 83, 151, 209, 415, 326, 652,1306 में निहित कुल 44.19 एकड़ जमीन की जमाबंदी रद्द कर दी.

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