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झारखंड के कांग्रेस नेता ददई दुबे के पुत्र अजय दुबे का रांची में निधन, 1:25 बजे मेडिका में ली अंतिम सांस

रांची : झारखंड के कांग्रेस नेता चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे के पुत्र का सोमवार को राजधानी रांची में निधन हो गया. वह रांची के मेडिका अस्पताल में भर्ती थे. सोमवार को 1:25 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. डॉ अनुपम कुमार सिंह उनका इलाज कर रहे थे. बताया जाता है कि पलामू जिला के बिश्रामपुर […]

रांची : झारखंड के कांग्रेस नेता चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे के पुत्र का सोमवार को राजधानी रांची में निधन हो गया. वह रांची के मेडिका अस्पताल में भर्ती थे. सोमवार को 1:25 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. डॉ अनुपम कुमार सिंह उनका इलाज कर रहे थे. बताया जाता है कि पलामू जिला के बिश्रामपुर से अजय दुबे को कांग्रेस का टिकट मिलना था, लेकिन उनके पिता चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे को पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया.

ददई दुबे मजदूर नेता, झारखंड के पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद रह चुके हैं. मौत की वजह हार्ट अटैक बतायी गयी है. कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ अनुपम कुमार सिंह ने अजय दुबे के निधन की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ है. अजय दुबे को 9 नवंबर को मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 11 नवंबर की सुबह सोशल मीडिया में खबर आयी थी कि अजय दुबे का निधन हो गया है, लेकिन अस्पताल ने इसकी पुष्टि नहीं की थी. कहा गया था कि कांग्रेस नेता को वेंटिलेटर पर रखा गया है.

2014 के विधानसभा चुनाव में अजय दुबे पलामू जिला के बिश्रामपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. इस चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे थे. अजय दुबे के पिता ददई दुबे को कांग्रेस ने इस बार बिश्रामपुर से पार्टी का उम्मीदवार बनाया है. रविवार की शाम को कांग्रेस ने चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे को उम्मीदवार घोषित किया.

बिश्रामपुर से दो बार लड़े थे चुनाव

अजय दुबे दो बार पलामू के विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. 34 वर्ष की उम्र में पहली बार 2005 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े, लेकिन राजद उम्मीदवार रामचंद्र चंद्रवंशी से हार गये. वर्ष 2014 में वह फिर कांग्रेस के टिकट पर लड़े. इस बार वह तीसरे नंबर पर चले गये. बावजूद इसके वह क्षेत्र में सक्रिय रहे.

इस बार भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. ददई दुबे ने बेटे अजय को राजनीति में पारंगत किया और उन्हें अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने दो-दो बार कांग्रेस का टिकट अजय को दिलवाया, लेकिन वह जीत न सके. चुनावी राजनीति में भले अजय दुबे हार गये, लेकिन लोग बताते हैं कि उन्हें राजनीति की अच्छी समझ थी. सभी दलों नेताओं से उनके मधुर संबंध थे. उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है.

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