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झारखंड विस चुनाव : 88 निर्दलीय MLA बने हैं 1951 से लेकर अब तक, 2006 में निर्दलीय चुनाव जीत CM बने थे कोड़ा
रांची : झारखंड निर्दलीय विधायकों को लेकर सबसे अधिक चर्चा में रहा है. निर्दलीय मुख्यमंत्री से लेकर निर्दलीय मंत्री तक झारखंड में रह चुके हैं. लिम्का बुक अॉफ रिकार्ड में भी निर्दलीय मुख्यमंत्री के रूप में सबसे अधिक कार्यकाल का रिकार्ड मधु कोड़ा के नाम ही रहा है. पर निर्दलीय झारखंड की राजनीतिक अस्थिरता के […]
रांची : झारखंड निर्दलीय विधायकों को लेकर सबसे अधिक चर्चा में रहा है. निर्दलीय मुख्यमंत्री से लेकर निर्दलीय मंत्री तक झारखंड में रह चुके हैं. लिम्का बुक अॉफ रिकार्ड में भी निर्दलीय मुख्यमंत्री के रूप में सबसे अधिक कार्यकाल का रिकार्ड मधु कोड़ा के नाम ही रहा है. पर निर्दलीय झारखंड की राजनीतिक अस्थिरता के लिए भी जिम्मेवार रहे हैं.
संयुक्त बिहार में और झारखंड अलग होने के बाद भी झारखंड क्षेत्र से निर्दलीय विधायक जीतते रहे हैं. 1951 से लेकर 2014 तक हुए 15 विधानसभा चुनावों में कुल 88 निर्दलीय विधायकों ने झारखंड की धरती से अब जीत दर्ज किया है.
हालांकि वर्ष 2014 के चुनाव निर्दलीय विधायकों को पूरी तरह जनता ने नकार दिया था. वैसे छोटी-छोटी पार्टियों को अकेले ही विधायक बने थे. 2014 में झापा से एनोस एक्का, जयभारत समानता पार्टी से गीता कोड़ा, नौजवान संघर्ष मोर्चा से भानुप्रताप शाही, मासस से अरुप चटर्जी, बसपा से कुशवाहा शिवपूजन मेहता और भाकपा माले से राजकुमार यादव ने जीत दर्ज की थी. इनके नाम के आगे पार्टी का नाम जुड़ा हुआ था. 2014 में कुल 363 निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था, जिनमें से 359 की जमानत जब्त हो गई थी.
जरमुंडी से जीते हैं सबसे अधिक निर्दलीय : संताल परगना का जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है, जहां से सबसे अधिक निर्दलीय विधायक बने हैं.
अब तक के 15 विधानसभा चुनावों में से छह बार 1967, 1977, 1980, 1990, 2005 और 2009 में निर्दलीय विधायकों को जनता ने चुना है. 1967 में एस राउत, 1977 में दीपनाथ राय, 1980 और 1990 में जवाहर प्रसाद सिंह और 2005 और 2009 में हरिनारायण राय ने जरमुंडी से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता. इस बार हरिनारायण राय को कोर्ट से ही चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं मिली है. जरमुंडी के अलावा ईचागढ़ और सिंदरी से चार-चार और कोलेबिरा, गोमिया, चंदनकियारी, सरायकेला, बहरागोड़ा, चाईबासा, मझगांव, मनोहरपुर और जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र से तीन-तीन बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है.
माधवलाल सिंह गोमिया विधानसभा सीट से तीन बार 1985, 1990 और 2000 में निर्दलीय चुनाव जीते हैं, ऐसा करने वाले वे एकमात्र विधायक हैं. एनई होरो एकमात्र ऐसे विधायक हैं जिन्होंने दो सीटों से निर्दलीय चुनाव जीता था. 1967 में कोलेबिरा से और 1969 में तोरपा से से वह चुनाव जीते थे. 1967 में सर्वाधिक 16 निर्दलीय जीते जबकि 1969 में 14 और 1977 में 10 निर्दलीयों की जीत हुई थी.
रांची सदर से 1957 में निर्दलीय जीते थे शाहदेव
रांची सदर सीट से 1957 में निर्दलीय विधायक के रूप में सीएन शाहदेव ने जीत दर्ज की थी. 1977 में ही झारखंड के मंत्री रह चुके साइमन मरांडी ने लिट्टीपाड़ा सीट से और समरेश सिंह ने बोकारो से जीत दर्ज की थी.
1985 में मांडू से टेकलाल महतो और सिंदरी से विनोद बिहारी महतो, खरसावां से विजय सोय, तोरपा से एनई होरे जैसे नेता निर्दलीय ही विधख़यक बने थे. 2005 में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने भी निर्दलीय ही चुनाव जीता था. भाजपा से उन्हें टिकट नहीं मिला था और वह निर्दलीय खड़े होकर जगन्नाथपुर सीट से चुनाव जीत गये. फिर वर्ष 2006 में झारखंड के पहले निर्दलीय मुख्यमंत्री बने.
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