झारखंड की राजनीति का फ्लैश बैक : कांके में सीटिंग विधायक हारे नहीं, हटाये जाते रहे हैं

मनोज सिंह रांची : कांके विधानसभा क्षेत्र में विधायक रहते कोई भी चुनाव नहीं हारे हैं. यह भी कहा जा सकता है कि यहां के विधायक पार्टी की उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाते हैं. यही कारण होता है कि विधायक रहते ही टिकट नहीं मिलता है. इसमें भाजपा के साथ-साथ अन्य दिलों के विधायक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2019 7:36 AM
मनोज सिंह
रांची : कांके विधानसभा क्षेत्र में विधायक रहते कोई भी चुनाव नहीं हारे हैं. यह भी कहा जा सकता है कि यहां के विधायक पार्टी की उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाते हैं. यही कारण होता है कि विधायक रहते ही टिकट नहीं मिलता है. इसमें भाजपा के साथ-साथ अन्य दिलों के विधायक भी शामिल हैं. कांके में भाजपा से चार बार रामचंद्र बैठा चुनाव जीते हैं.
लगातार दो बार विधायक रहते वर्ष 2000 में उनका टिकट काटकर रामचंद्र नायक को दे दिया गया था. रामचंद्र नायक को पार्टी ने मात्र एक बार ही मौका दिया और 2005 में फिर रामचंद्र बैठा को टिकट दे दिया. 2009 में भी श्री बैठा इस सीट से भाजपा की टिकट पर ही जीते थे. 2014 के चुनाव में चार-चार बार विधानसभा सीट जीतने वाले श्री बैठा पार्टी की उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाये. श्री बैठा का टिकट काटकर डॉ जीतू चरण राम को दे दिया. अभी कांके से डॉ राम ही विधायक हैं.
दूसरे दलों के विधायकों के साथ भी ऐसा हुआ
वर्ष 1977 से पूर्व कांके विधानसभा सीट सामान्य हुआ करती थी. यहां किसी भी जाति के प्रत्याशी खड़ा हो सकते थे. यही कारण था कि यहां से रामटहल चौधरी दो-दो बार (1969 और 1972) में विधायक रहे. इसके बाद 1977 में कांके विधानसभा सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया.
आरक्षित सीट के पहले विधायक हीराराम तूफानी बने थे. श्री तूफानी बीएयू से कृषि स्नातक के विद्यार्थी थे. दूसरी बार कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया. वह 1985 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े. 1980 में कांग्रेस के दिग्गज रामरतन राम चुनाव लड़े. अगले चुनाव में कांग्रेस ने इनका टिकट काट दिया और हरि राम को टिकट दे दिया. 1985 में कांग्रेस की टिकट से जीतने वाले हरिराम को 1990 में पार्टी ने टिकट नहीं दिया और फिर रामरतन राम को चुनाव में उतारा. श्री राम तीसरे स्थान पर रहे.

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