ट्विटर पर टॉप ट्रेंड में रहा हैशटैग ”धरती आबा बिरसा मुंडा’, हर आम और खास ने इस अंदाज में दी श्रद्धांजलि
रांची: आज महान स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी हितों के लिए संघर्ष करने वाले बिरसा मुंडा की जयंती मनाई जा रही है. बिरसा मुंडा की जन्मतिथि को ही झारखंड दिवस के तौर पर मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन झारखंड आदिवासी बहुल राज्य के तौर पर बिहार से अलग होकर अलग राज्य के तौर पर सामने […]
रांची: आज महान स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी हितों के लिए संघर्ष करने वाले बिरसा मुंडा की जयंती मनाई जा रही है. बिरसा मुंडा की जन्मतिथि को ही झारखंड दिवस के तौर पर मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन झारखंड आदिवासी बहुल राज्य के तौर पर बिहार से अलग होकर अलग राज्य के तौर पर सामने आया था. अंग्रेजी सत्ता और महाजनी, साहूकारी प्रथा के खिलाफ आवाज बुंलद करने वाले बिरसा मुंडा को झारखंड में भगवान का दर्जा हासिल है.
उनकी इस जयंती पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर हैशटेग धरतीआबा बिरसामुंडा टॉप ट्रेंडिंग है. कई आम और खास लोगों ने इस हैशटेग के साथ भगवान बिरसा को याद किया है.
ट्वीटर यूजर प्रियंका मीणा लिखती हैं कि आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने आदिवासियों के शोषण और भेदभाव के खिलाफ उलगुलान नाम के आंदोलन का नेतृत्व किया वो काफी लोकप्रिय हुआ. इनके आंदोलन की वजह से ब्रिटिश सरकार को छोटानागपुर टेनेंसी अधिनियम पारित करना पड़ा जिसके तहत आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों के लिए हस्तांतरित करना प्रतिबंधित हो गया.
#BirsaMunda tribal freedom fighter, led a movement called #Ulgulan against the exploitation and discrimination of tribals, was big hit & British Gov't passed Chotanagpur Tenancy Act, restricted transfer of land from tribal to non-tribals.#धरतीआबा_बिरसामुंडा @ihansraj pic.twitter.com/XzyQCa8oE8
— Priyanka Meena (@priyanka94meena) November 15, 2019
यूजर अतुल तिर्की ने लिखा कि धरती आबा को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि. उनका अजेय साहस हम सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है.
#धरतीआबा_बिरसामुंडा
Humble tributes to Dharti Aba on his Birth Anniversary. His invincible courage is source of inspiration for all of us. pic.twitter.com/WlovU2ULp9— Atul Tirkey (@atultirkey) November 15, 2019
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने बिरसा मुंडा को याद करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि जल, जंगल, जमीन और आदिवासी अस्मिता के संघर्ष कर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए. आपने कहा कि आदिवासियं के जल, जंगल और जमीन से जुड़े फैसले आदिवासी लेंगे. आदिवासी महानायक और स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा को उनकी जयंती पर शत शत नमन.
जल, जंगल, जमीन और आदिवासी अस्मिता के लिए संघर्ष कर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। आपने कहा कि आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन से जुड़े फ़ैसले आदिवासी लेंगे।
आदिवासी महानायक और स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुण्डा को उनकी जयंती पर शत शत नमन।#धरतीआबा_बिरसामुंडा
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) November 15, 2019
झारखंड के सीएम रघुवर दास ने कोकर रोड स्थित भगवान बिरसा की समाधि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके बाद उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की समाधि और प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया. भगवान बिरसा मुंडा ने ऐसे झारखंड की कल्पना की थी जहां सुशासन हो, समृद्धि हो. हम उनके सपनों का झारखंड बनाने में जुटे हुए हैं.
धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की समाधि और प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया।
भगवान बिरसा मुंडा ने ऐसे झारखण्ड की कल्पना की थी जहां सुशासन हो, समृद्धि हो। हम उनके सपनों के झारखण्ड के निर्माण में जुटे हैं। pic.twitter.com/f1KWXhGfnX
— Raghubar Das (@dasraghubar) November 15, 2019
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लिखा कि बिरसा मुंडा जी का जीवन संघर्ष का पर्याय है. उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों से आदिवासी समाज को नयी दिशा देने का काम किया. धरती व जंगलों पर आदिवासियों के अधिकार वापसी के प्रयासों के लिए वो धरती आबा के नाम से विख्यात हुए. ऐसे महान जन नायक की जयंती पर उन्हें शत शत नमन.
बिरसा मुंडा जी का जीवन संघर्ष का पर्याय है। उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों से आदिवासी समाज को नयी दिशा देने का काम किया।
धरती व जंगलों पर आदिवासियों के अधिकार वापसी के प्रयासों के लिए वो ‘धरती आबा’ के नाम से विख्यात हुए। ऐसे महान जन नायक की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन। pic.twitter.com/shdBfFG1j4
— Amit Shah (@AmitShah) November 15, 2019
स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर साल 1875 को वर्तमान में झारखंड की राजधानी रांची में हुआ था. काफी कम आयु में ही वो महाजनी और साहूकारी की दमनकारी व्यवस्था से रुष्ट हो गए थे. उन्होंने देखा कि आदिवासी हितों को कुचला जा रहा है. इसलिए उन्होंने हथियार उठा लिया और अंग्रेजी सत्ता तथा महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया जो उलगुलान के नाम से लोकप्रिय हुआ. बाद में अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और जेल में ही उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गयी.