एचइसी में कार्यादेश 1100 करोड़ का, फिर भी दो प्लांटों में काम नहीं

रांची : एचइसी के पास वर्तमान में 1100 करोड़ रुपये का कार्यादेश है, फिर भी एचइसी के दो प्लांट एचएमटीपी व एचएमबीपी के अधिकांश वर्कशॉप में काम नहीं है. एचइसी के एक अधिकारी ने बताया कि इन दोनों प्लांट में कार्यादेश नहीं रहने के कारण चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के अक्तूबर माह तक 103 करोड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2019 12:25 AM

रांची : एचइसी के पास वर्तमान में 1100 करोड़ रुपये का कार्यादेश है, फिर भी एचइसी के दो प्लांट एचएमटीपी व एचएमबीपी के अधिकांश वर्कशॉप में काम नहीं है. एचइसी के एक अधिकारी ने बताया कि इन दोनों प्लांट में कार्यादेश नहीं रहने के कारण चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के अक्तूबर माह तक 103 करोड़ रुपये से भी कम का उत्पादन हुआ है, जबकि निर्धारित लक्ष्य करीब 310 करोड़ रुपये का है. वर्तमान में स्थिति को देखते हुए इस बार भी एचइसी अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर पायेगा.

वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए भारी उद्योग मंत्रालय व एचइसी के बीच 625 करोड़ रुपये उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने के लिए एमओयू हुआ था. वहीं अक्तूबर माह में एचइसी ने पांच करोड़ रुपये से भी कम का उत्पादन किया है. मालूम हो कि पिछले कई वर्षों से कंपनी घाटे में है. यही स्थिति रही, तो एचइसी एक बार फिर बीआइएफआर में चला जायेगा. अधिकारी ने बताया कि एचइसी के घाटे में रहने का मुख्य कारण एचएमबीपी एवं एचएमटीपी में कार्यादेश की कमी होना है.
हालांकि पूर्व में कार्यादेश रहने के बाद भी मशीनें काफी पुरानी होने के कारण कंपनी की स्थिति में सुधर नहीं हो पा रहा है. वर्तमान में जो उत्पादन की स्थिति है, वह काफी कम है. वर्तमान में एचइसी में जो भी कार्यादेश है, वह एफएफपी के लिए है, लेकिन वह भी लंबी अवधि का प्रोजेक्ट है. पिछले पांच वित्तीय वर्ष के आंकड़े को देखें, तो कंपनी घाटे में है. सिर्फ 2017-18 में एचइसी को जमीन के एवज में राज्य सरकार से पैसा मिलने के कारण 446 करोड़ रुपये का मुनाफा दिखाया गया. इस कारण एचइसी का नेटवर्थ पॉजिटिव हो गया.
चार वित्तीय वर्ष में हुआ घाटा :उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2014-15 में एचइसी को 241.68 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. वहीं वित्तीय वर्ष 2015-16 में 144.77 करोड़ रुपये, वित्तीय वर्ष 2016-17 में 82.27 करोड़ रुपये एवं वित्तीय वर्ष 2018-19 में 93.67 करोड़ रुपये का घाटा हुआ.

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