रांची : पिछले 30 वर्षों में नष्ट हो गयी कई प्रजातियां : सिंह
रांची : झारखंड बायोडायवर्सिटी बोर्ड के चेयरमैन एलआर सिंह ने कहा है कि पूरे देश में बायोडायवर्सिटी की स्थिति चिंताजनक है. 1970 से वर्ष 2000 के बीच कई प्रजातियां नष्ट हो गयीं. करीब 40 फीसदी प्रजातियों के नष्ट होने का दावा हो रहा है. इसका कारण वन भूमि का गैर वन भूमि में परिवर्तन होना […]
रांची : झारखंड बायोडायवर्सिटी बोर्ड के चेयरमैन एलआर सिंह ने कहा है कि पूरे देश में बायोडायवर्सिटी की स्थिति चिंताजनक है. 1970 से वर्ष 2000 के बीच कई प्रजातियां नष्ट हो गयीं. करीब 40 फीसदी प्रजातियों के नष्ट होने का दावा हो रहा है. इसका कारण वन भूमि का गैर वन भूमि में परिवर्तन होना भी है. यह मानव जाति के लिए एक चुनौती है.
श्री सिंह सोमवार को होटल कैपिटोल हिल में बायोडायवर्सिटी पर आयोजित सेंसेटाइजेशन वर्कशॉप में बोल रहे थे. सभी राज्यों में अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत बायोडायवर्सिटी एक्ट का गठन किया गया. इसके उपयोग पर बात हुई. एक्ट आये करीब 17 साल हो गये हैं, लेकिन आज भी इस एक्ट को लेकर उतनी स्पष्टता नहीं है, जितनी होनी चाहिए. झारखंड में करीब 4704 बायोडायवर्सिटी मैनेजमेंट कमेटी (बीएमसी) का गठन होना है. इसमें 4214 कमेटी बन चुकी है. 145 पब्लिक बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (पीबीआर) बनाये गये हैं. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ऋत्विक दत्ता ने कहा कि देश में कई तरह की संस्थाएं अंतरराष्ट्रीय कारणों से बनी हैं.
इसमें पर्यावरण मामलों पर काम करनेवाली संस्थाएं भी हैं. लोगों को इन संस्थाओं के बेहतर उपयोग पर विचार करना चाहिए. सरकार के पक्ष या विपक्ष को नहीं, सिटीजन मुद्दों को बढ़ावा देना चाहिए. बायोडायवर्सिटी एक्ट में क्षेत्र में पड़ने वाले एक्सेस एंड बेनीफिट शेयरिंग की बात की गयी है. इससे स्थानीय लोगों को फायदा होगा.
डीएफओ हैं नोडल अधिकारी : बोर्ड की सदस्य सचिव शैलजा सिंह ने वन प्रमंडल पदाधिकारियों को इस एक्ट का नोडल ऑफिसर बनाया है. इससे लिए बोर्ड ने अधिसूचना भी जारी की है. उनके नेतृत्व में जिला स्तर पर एक तकनीकी कमेटी बनेगी. कार्यक्रम में कई जिलों से वन प्रमंडल पदाधिकारी तथा मुख्यालय के वन अधिकारियों ने हिस्सा लिया. तकनीकी सत्र में उत्तराखंड बायोडायवर्सिटी बोर्ड के उप निदेशक धनंजय प्रसाद, स्वयंसेवी संस्था लाइफ के ट्रस्टी डॉ आरके सिंह ने भी विचार रखे.