21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 : दलबदलुओं ने तोड़ दी कारोबारियों की कमर

बिपिन सिंह रांची : रांची के भाजपा प्रदेश कार्यालय के पास लोगों का जमघट लगा है. यहां नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं का आना-जाना लगा है. यहीं से कुछ कदम की दूरी पर सड़क किनारे चुनाव प्रचार सामग्री की दुकानें सजी हैं, लेकिन यहां कोई हलचल नहीं है. पहले चरण का चुनाव नजदीक है. पार्टियों ने […]

बिपिन सिंह
रांची : रांची के भाजपा प्रदेश कार्यालय के पास लोगों का जमघट लगा है. यहां नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं का आना-जाना लगा है. यहीं से कुछ कदम की दूरी पर सड़क किनारे चुनाव प्रचार सामग्री की दुकानें सजी हैं, लेकिन यहां कोई हलचल नहीं है. पहले चरण का चुनाव नजदीक है.
पार्टियों ने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कर दी है. इसके बावजूद चुनाव प्रचार सामग्री की दुकानों पर सन्नाटा पसरा है. कारोबारियों को प्रदेश में बदलते राजनीतिक समीकरणों और परिस्थितियों की वजह से बड़ा झटका लगा है. ग्राहकों के इंतजार में बैठे गर्ग इंटरप्राइजेज के कारोबारी शंभुनाथ कहते हैं, 2019 के लोकसभा चुनाव के समय रौनक थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. सोशल मीडिया ने बाजार पहले ही खराब कर रखा है, अब रही सही कसर दलबदलु नेताओं ने पूरी कर दी है.
कद्दावर नेताओं के नाम की टोपियां और टी-शर्ट हुए बेकार : कारोबारी शंभुनाथ ने कहा कि बिजनेस की तैयारी महीनों पहले से शुरू हो जाती है. ऑर्डर तैयार करने में वक्त लगता है. थोड़ा जोखिम उठा कर पुराने और पार्टी के कद्दावर नेताओं की लिस्टिंग कर उनकी सामग्री तैयार कर लेते हैं.
इस बार यहां दल-बदल का ऐसा दौर चला कि कई बार तो अंतिम समय में प्रिंटिंग रुकवानी पड़ी. भला कौन जानता था कि भाजपा सरयू राय जैसे पुराने नेता का टिकट काट देगी. उनके नाम और चेहरे की बनी हजारों टी-शर्ट और टोपियां बेकार चली गयीं. पहले जद यू का चुनाव निशान तीर छाप था, हमने लाखों हैंडबिल इस निशान के साथ के साथ छपवा लिए, यहां आये तो पता चला कि यहां जदयू ट्रैक्टर छाप पर चुनाव लड़ेगी. हमारा तो दिवाला निकल गया. लाखों का नुकसान हुआ है.
पार्टियां काफी पैसे खर्च कर रही हैं, लेकिन किस पर, पता नहीं…
पटना से आये कारोबारी राजेश कुमार बताते हैं कि ऐसा इलेक्शन हमने पहली बार देखा. वह कहते हैं कि पार्टियां काफी पैसे खर्च कर रही हैं, लेकिन किस पर कर रही हैं…
यही हमें नहीं पता. हमारे पास एक आदमी एनसीपी का पट्टा लगाये महंगी गाड़ी से उतरा, उसने कहा कि उनकी शरद पवार से बात हो गयी है. एनसीपी झारखंड की सभी सीटों से चुनाव लड़ेगी, ऐसा कह उसने घड़ी छाप के लाखों के आॅर्डर की बात कह कुछ पैसे एडवांस में पकड़ा दिये. बड़े आॅर्डर के लालच में हमने मुंबई से सीधे फ्लाइट से माल मंगाया. माल आने के बाद से उन साहब का कोई अता-पता नहीं, तब से फोन उठा नहीं रहे.
कारोबारियों की पीड़ा
चुनाव आयोग की पाबंदियों के अलावा गिरते कारोबार की अन्य कई वजहें हैं. ज्यादातर कैंडिडेट यह मानकर चल रहे हैं कि वह चुनाव जीत रहे हैं. वे पार्टी खर्च पर ही निर्भर हैं. वहीं, कई ऐसे नेता भी हैं, जिन्होंने पहले ही हार मान ली है.
योगेश कुमार, कारोबारी, श्री राम ट्रेडर्स
पहले प्रत्याशी जिस गली में जाता था उस गली को सजाया जाता था, पर अब ऐसा भी नहीं होता. भाजपा से जुड़ी प्रचार सामग्री की थोड़ी बिक्री हो भी रही है, अन्य दलों के नेता तो झांकने तक नहीं आ रहे हैं.
आशीष उपाध्याय, आशीष प्रिंटर्स
उम्मीद थी कि इस बार बीजेपी के साथ कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दल भी जोर लगायेंगे. लेकिन, पता नहीं सब कहां चले गये. ज्यादातर गठरी स्टोर में यूं ही रखी हुई हैं. बड़ी पेमेंट रुकी हुई है.
राजेश कुमार, कारोबारी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें