सुनिए झारखंड के नायकों को : कैरियर निश्चित नहीं होने से दो प्रतिशत से भी कम लोग खेल में आते हैं : सौरभ तिवारी

खिलाड़ियों को घायल होने पर मिले सरकारी मदद मेरे ख्याल से एक खिलाड़ी का सारा धन उसका फिटनेस है. जब तक खिलाड़ी फिट रहता है, वह अच्छा खेलता, रन बनाता या फिर पदक जीतता है. दुर्भाग्यवश अगर कोई खिलाड़ी किसी स्पोर्ट्स इंजरी का शिकार होता है, तो उसके कैरियर पर ही सवाल खड़े हो जाते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 27, 2019 7:41 AM
खिलाड़ियों को घायल होने पर मिले सरकारी मदद
मेरे ख्याल से एक खिलाड़ी का सारा धन उसका फिटनेस है. जब तक खिलाड़ी फिट रहता है, वह अच्छा खेलता, रन बनाता या फिर पदक जीतता है. दुर्भाग्यवश अगर कोई खिलाड़ी किसी स्पोर्ट्स इंजरी का शिकार होता है, तो उसके कैरियर पर ही सवाल खड़े हो जाते हैं.
इसलिए मेरी आने वाली सरकार से यह मांग होगी कि सरकारी स्तर पर स्पोर्ट्स इंजरी की सुविधा दी जाये. अगर कोई संपन्न क्रिकेटर है या फिर एथलीट है, तो वह प्राइवेट स्तर पर अपना इलाज करा लेगा. लेकिन कोई प्रोमिसिंग खिलाड़ी है और किसी इंजरी का शिकार हो जाता है, तो उसका कैरियर ही चौपट हो जाता है. इसलिए सरकार को एक स्पोर्ट्स इंजरी से जुड़ी मेडिकल कैंप की शुरुआत करनी चाहिए.
वहीं उन्होंने कहा कि हर योग्य खिलाड़ी को उनके योग्यता के हिसाब से नौकरी और स्कॉलरशिप की भी व्यवस्था करनी चाहिए. साथ ही आने वाले सरकार को एक पैमाना सेट करना चाहिए कि इतने रणजी खेलने वाले को नौकरी मिलेगी या फिर इतने अंतरराष्ट्रीय व नेशनल खेलनेवाले खिलाड़ी ही नौकरी दी जायेगी. हमारी आबादी के दो प्रतिशत से भी कम लोग खेल में आते हैं.
इसका मुख्य कारण हैं यहां पर कैरियर का निश्चित नहीं होना. अच्छा करने के बाद भी कई खिलाड़ी को उनके हिसाब से वह नहीं मिल पाता, जिसके वह हकदार थे. इसलिए आनेवाली सरकार मजबूत स्पोर्ट्स नीति बना कर सही खिलाड़ी को उनका हक दे. मेरे ख्याल से अन्य सेक्टरों की तरह खेल के क्षेत्न में भी पेंशन की सुविधा होनी चाहिए. इसमें सरकार को पैमाना सेट करना चाहिए.
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