नेताम ने कहा कि एक-दो नक्सली घटना से न मानें कि उनके विरुद्ध कार्रवाई में कमी हुई है. नक्सली चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ऐसा करते हैं. ऐसे तत्वों को विरोधियों का संरक्षण मिला हुआ है. भाजपा जहां मजबूत है, वहां उसे डैमेज करने के लिए नक्सली ऐसा कर रहे हैं. भाजपा को रोकने का प्रयास हो रहा है. रघुवर दास की सरकार न बने, इस पर नक्सली व अन्य काम कर रहे हैं. श्री नेताम ने ये बातें मंगलवार को भाजपा के मीडिया सेंटर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन मे कहीं.
भाजपा आदिवासी हितैषी : नेताम ने कहा कि भाजपा आदिवासी हितैषी है. उनके सर्वांगीण विकास व कल्याण की बात सोचती है और करती भी है. मोदी सरकार आदिवासी कल्याण मंत्रालय की बजट 4000 करोड़ को बढ़ा कर 6900 करोड़ कर दिया है. वहीं एकलव्य विद्यालय को मॉडल विद्यालय के रूप में विकसित किया.
भ्रष्टाचार में डूबे लोग हम पर लगा रहे आरोप, यह हास्यास्पद
किसी पर नहीं लगे हैं भ्रष्टाचार के आरोप
नेताम ने कहा कि पिछले पांच सालों में सरकार में मंत्रिमंडल के किसी भी सहयोगी पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं. श्री नेताम ने कहा कि कुछ ऐसे लोग हैं, जो झारखंड में माहौल खराब कर रहे हैं. ऐसे लोगों को भाजपा पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए.
यह हास्यास्पद स्थिति है कि जो खुद भ्रष्टाचार में डूबे हैं, वह हम पर आरोप लगा रहे हैं. श्री नेताम ने कहा कि भाजपा वोट बैंक की राजनीति नहीं करती. हमने गरीबों, मजदूरों, नौजवानों के लिए काम किया. उन्होंने कहा रघुवर दास की सरकार बनी, तो देश की आजादी के लिए शहीद होनेवाले महापुरुषों की जन्मस्थली का विकास करने का निर्णय लिया गया और इस दिशा में काम भी हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले चरण के जहां चुनाव होने हैं, उन क्षेत्रों के रुझान भाजपा के पक्ष में है.
नक्सली घटना में आयी है कमी : अरुण
भाजपा अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अरुण उरांव ने कहा कि नक्सलवाद की घटनाओं में भी काफी कमी आयी है. इसकी पुष्टि आंकड़े से होती है. वर्ष 2014 के आसपास 397 नक्सली वारदात प्रतिवर्ष की घटनाएं दर्ज की जा रही थी. 2019 में 119 घटनाएं दर्ज हुई है.
इसी तरह 2014 तक 14 नक्सली प्रतिवर्ष सरेंडर किया करते थे, जबकि 2014 से 2019 के बीच 28 नक्सलियों ने प्रतिवर्ष सरेंडर किया.
अभी जो कुछ नक्सली वारदातें हुई हैं, उसे चुनाव के समय नक्सली अपने वजूद को दिखाने के लिए करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुठभेड़ के दौरान शहीद होनेवाले पुलिसकर्मियों की संख्या में भी पिछले पांच वर्षों में काफी कमी आयी है. ग्रामीण इलाकों में सड़कों की जाल बिछी है.