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झारखंड विधानसभा चुनाव : हर चुनाव में करीब 70 लाख लोग नहीं देते वोट, ये सूरत बदलनी चाहिए

35 से 40 फीसदी लोगों की सरकार बनाने में कोई भागीदारी नहीं रही रांची : झारखंड गठन के बाद हुए हर विधानसभा चुनावों में 70 लाख से अधिक मतदाता वोट नहीं देते. वर्ष 2005 के चुनाव में 76.34 लाख, वर्ष 2009 में 77.66 लाख तथा वर्ष 2014 में 70.01 लाख लोग एक तरह से चुनाव […]

35 से 40 फीसदी लोगों की सरकार बनाने में कोई भागीदारी नहीं रही
रांची : झारखंड गठन के बाद हुए हर विधानसभा चुनावों में 70 लाख से अधिक मतदाता वोट नहीं देते. वर्ष 2005 के चुनाव में 76.34 लाख, वर्ष 2009 में 77.66 लाख तथा वर्ष 2014 में 70.01 लाख लोग एक तरह से चुनाव के प्रति उदासीन रहे. यानी 35 से 40 फीसदी लोगों की सरकार बनाने में कोई भागीदारी नहीं रही.
इसकी तुलना राज्य की करीब 3.29 करोड़ की आबादी से करें, तो अब तक के हर चुनाव में करीब एक चौथाई लोगों की ही सरकार बनाने में भूमिका रही थी. वर्ष 2005 में कुल वोटर करीब 1.78 करोड़ थे. वर्ष 2009 में 1.80 करोड़ तथा 2014 के विधानसभा चुनाव में वोटरों की कुल संख्या बढ़ कर 2.08 करोड़ थी. दरअसल राज्य में हुए पहले विधानसभा चुनाव (2005) की तुलना में अभी 2019 में वोटरों की संख्या करीब 50 लाख बढ़ी है. बढ़ती आबादी के अनुपात में मतदान का रुझान नहीं बढ़ रहा. अब तो वोटरों के पास नोटा का विकल्प भी है.
इनसे हमें लेनी चाहिए सीख
एक अोर वोट नहीं देनेवालों की तादाद बढ़ी है. दूसरी अोर एेसे लोग भी हैं, जो हर हाल में मतदान करने का जज्बा रखते हैं. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र की खबर ने सबका ध्यान खींचा था. यहां पतरातू प्रखंड के पीटीपीएस, रोड संख्या-20 के श्याम बिहारी तिवारी की मौत चुनाव के दिन सुबह में ही हो गयी थी. वहीं इसी विधानसभा क्षेत्र के नक्सल प्रभावित इलाके उरेज के करीब सौ वर्षीय वृद्ध ठूठा गंझू की मौत चुनाव से एक दिन पहले की देर रात को गयी थी. पर दोनों परिवार के लोगों ने शव के दाह संस्कार से पहले वोट देकर एक उदाहरण पेश किया था.

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