रांची : मरीजों की जांच के नाम पर करोड़ों के फर्जी बिल
रांची : झारखंड के जिला अस्पतालों व रिम्स में पैथोलॉजी जांच का काम कर रहीं एजेंसियों (मेडॉल व एसआरएल) पर समझौता शर्तों का उल्लंघन कर मरीजों की जांच करने तथा फर्जी बिल के माध्यम से करोड़ों का बिल बनाने के आरोप लग रहे हैं. मेडॉल के बारे में स्वास्थ्य विभाग को ज्यादा शिकायतें मिल रही […]
रांची : झारखंड के जिला अस्पतालों व रिम्स में पैथोलॉजी जांच का काम कर रहीं एजेंसियों (मेडॉल व एसआरएल) पर समझौता शर्तों का उल्लंघन कर मरीजों की जांच करने तथा फर्जी बिल के माध्यम से करोड़ों का बिल बनाने के आरोप लग रहे हैं. मेडॉल के बारे में स्वास्थ्य विभाग को ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं. यही वजह है कि रिम्स सहित कुछ जिलों में भी भुगतान रोका गया है. एसआरएल के छह करोड़ और मेडॉल के 35 करोड़ का बिल बन चुका है. मेडॉल के 35 करोड़ के बिल में सिर्फ रिम्स का 30 करोड़ रुपये का बिल है.
नहीं है एमआइएस या अॉनलाइन रिकॉर्ड : इन एजेंसियों को लेकर विभाग की सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि शर्त के मुताबिक इन्होंने अब तक अपना मैनेजमेंट इंफॉरमेशन सिस्टम (एमआइएस) नहीं बनाया है.
मरीजों की जांच के बाद पैसा वापसी के लिए बनने वाले बिल को अॉनलाइन उपलब्ध कराना है, लेकिन मेडॉल और एसआरएल ने एेसा नहीं किया है. यही कारण है कि रिम्स और हजारीबाग सहित कई जिलों में बिल बोरे में भरकर रखे गये हैं. इनकी जांच में भी लंबा वक्त लगेगा़ विभागीय सचिव ने रिम्स निदेशक व सिविल सर्जनों को निर्देश दिया है कि जब तक मेडॉल के बिल की जांच नहीं हो जाती है, तब तक भुगतान रोका जाये.
मेडॉल व एसआरएल पर जांच के नाम पर करोड़ों की गड़बड़ी का आरोप
मोहल्लों में शिविर लगाकर बनाये फर्जी बिल
राज्य के 12 जिलों में कार्यरत मेडॉल ने गली-मोहल्ले में शिविर लगाया़ इसमें लोगों की पैथोलॉजी जांच की है, जो समझौता शर्त का उल्लंघन है.
शर्त के अनुसार, उन्हीं मरीजों की जांच करनी है, जो सरकारी अस्पतालों में जाते हैं और चिकित्सक जांच की सलाह देते हैं. लेकिन ऐसा नहीं किया गया़ मेडॉल ने बड़ा बिल बनाने के लिए रांची और हजारीबाग में जांच शिविर लगाये और लोगों की जांच की़ खास बात यह है जांच के बिल पर फर्जी तरीके से एमअो रिम्स व कुछ और लिखा गया है. हजारीबाग में शिविर में हुई जांच का बिल करीब दो करोड़ रुपये आया है.
खेलगांव मोड़ से पहले न्यू नगर में मेडॉल ने एक जांच शिविर लगाया था. यहां 25 अप्रैल 2019 को निखिल कुमार (मरीज) की कई तरह की जांच की गयी़ खून-पेशाब से जुड़ी ये सभी जांच महंगी है, लेकिन यह मुफ्त की गयी. इसके बाद मेडाॅल ने भुगतान के लिए इसका बिल रिम्स को उपलब्ध कराया है. निखिल की रिपोर्ट में जांच एमअो रिम्स द्वारा अनुशंसित बताया गया है.
हमारे द्वारा जांच कैंप सामाजिक कार्यों के लिए लगाया जाता है, लेकिन रिपोर्ट में मेडिकल अफसर रिम्स द्वारा रेफर कैसे व क्यों दिखाया गया है, यह मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है. सोमवार को रिम्स मेडॉल जाकर पता किया जायेगा.
जेनरल मैनेजर ऑपरेशन, मेडॉल